हां तुम चौकीदार हो
अबतक तुम सा न देखा ,ऐसे ही सच्चे वफादार हो ।
साबित कर दिखाया तूने ,
हां तुम सच्चे चौकीदार हो ।।
भारत शीर्ष पहुंचाने वाला ,
भारतीय सच्चे तुम प्यार हो ।
दलालों के दिल चुभनेवाले ,
चाकू तुम बहुत धारदार हो ।।
लोहा मनवाये विश्व को तुम ,
ऐसे तुम एक असरदार हो ।
तुम्हें देख अरि हटते हैं पीछे ,
भारतीय पी एम शानदार हो ।।
देशद्रोहियों दलालों के तुम ,
जैसे सिर पर ही सवार हो ।
विश्व के तुम बन गए प्यारे ,
नवभारत तुम सृजनहार हो ।।
भारत मां के तू सच्चे लाड़ले ,
सभ्य सुशील ईमानदार हो ।
सच्चे दिल सेवा करनेवाले ,
हां तुम सच्चे चौकीदार हो ।।
पूर्णतः मौलिक एवं
अप्रकाशित रचना
अरुण दिव्यांश
डुमरी अड्डा
छपरा ( सारण )
बिहार ।
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