Advertisment1

यह एक धर्मिक और राष्ट्रवादी पत्रिका है जो पाठको के आपसी सहयोग के द्वारा प्रकाशित किया जाता है अपना सहयोग हमारे इस खाते में जमा करने का कष्ट करें | आप का छोटा सहयोग भी हमारे लिए लाखों के बराबर होगा |

आजाद भारत तू महापावन ,

आजाद भारत तू महापावन ,

जिसकी शान लहराए तिरंगा ।
भारत तू स्वयं ही सम्मानित ,
जिसके सम्मान में बहती गंगा ।।
तेरी धरा भी स्वयं ही पावन ,
जिसे संभाले शेष भुजंगा ।
तेरे सेवक सारे भारतवासी ,
सेवा संस्कृति तव शृंगार टंगा ।।
कुछ दुष्ट लाल भी हैं तेरे ही ,
सदा मचाए रहते देश में दंगा ।
देश में रह देशवासियों को ही ,
नाच दिखाते स्वयं होकर नंगा ।।
भारत में ही जन्मा रहना खाना ,
भारत से करे व्यवहार द्विरंगा ।
जिसके बल पर हमारे ही करि ,
हमसे लेना चाहता सदा पंगा ।।
ऐसे भारतीय भारतीय दुश्मन ,
निज को मन में अलग है रंगा ।
उसे भी अपने ही रंग में रंग ले ,
हमारी विनती तुमसे है तिरंगा ।।
पूर्णतः मौलिक एवं
अप्रकाशित रचना
अरुण दिव्यांश
डुमरी अड्डा
छपरा ( सारण )बिहार ।
हमारे खबरों को शेयर करना न भूलें| हमारे यूटूब चैनल से अवश्य जुड़ें https://www.youtube.com/divyarashminews https://www.facebook.com/divyarashmimag

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ