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अल्लाह गणित में जीरो है !

अल्लाह गणित में जीरो है !

लेखक बृज  नंदन  शर्मा  ( सत्यवादी  )
कुरान में जगह जगह बढ़ चढ़ कर अल्लाह की विशेषताओं का वर्णन किया गया है .और उसे सर्वविद्या संपन्न बताया गया है .और उसकी अतिश्योक्ति पूर्ण तारीफ की गयी है .इसी तरह कुछ जगह पर उसे "जल्दी हिसाब करने वाला "या Swift Reckoner "भी कहा गया है .इसे अरबी भाषा में " سريعُ الحساب सरीउल हिसाब कहा गया है .कुरान में लिखा है-

"अल्लाह तेज हिसाब करने वाला है "सूरा अनआम 6 :62

"अल्लाह बहुत तेज हिसाब लेनेवाला है "सूरा -रअद 13 :41

"अल्लाह जल्दी हिसाब करता है "सूरा -इब्राहीम 14 :51

अपने इन्हीं अद्भुत गुणों के कारण अल्लाह ने कुरान में किसी मुस्लिम मृतक व्यक्ति की वसीयत (सम्पति ) को उसके वसीयतदारों के बीच में बांटने के के लिए कुछ नियम निर्धारित किये हैं .की सम्पति में किसको कितना हिस्सा मिलना चाहिए .इसे कुरान का वसीयत का नियम या अंगरेजी में Quranic Inheritance Rule कहा जाता है .सुविधा के लिए अंक दिए गए हैं यह कुरान की सूरा निसा में इस तरह दिए गए हैं -

1 -कुरान के वसीयत का नियम

"अल्लाह तुम्हारी औलाद के बारे में तुम्हें वसीयत करता है कि,एक पुरुष का हिस्सा दो औरतों के बराबर हो (1 )यदि दो लड़कियाँ हों तो उनका हिस्सा माल का दो तिहाई है

(2 )और यदि अकेली हो ,तो उसके लिए आधा है (

3 )और यदि उसके औलाद हो तो ,उसके माता पिता में से हरेक के लिए छोड़े गए माल छठवां हिस्सा है (

4 )और यदि औलाद नहीं हो ,और उसके माता पिता वारिस हों तो उसकी माता का हिस्सा तिहाई होगा

(5 )और यदि उसके बाई बहिन भी हों ,तो माता का हिस्सा छठवां होगा

(6 )यह हिसे अलह ने निश्चित किये हैं .और अल्लाह जानने वाला और तत्वदर्शी है ".सूरा -निसा 4 :11

"और तुम्हारी पत्नियों ने जो छोड़ा हो ,और औलाद नहीं हो तो ,उसमे तम्हारा हिस्सा आधा है

(7 )और यदि औलाद हो ,तो तुम्हारा हिस्सा चौथाई होगा

(8 )और यदि औलाद हो ,उनका हिस्सा आठवां होगा (

9 )और यदि किसी पुरुष स्त्री के औलाद नहीं हो ,और न माता पिता जीवित हों ,और एक भाई बहिन हों दौनों में प्रत्येक को छठवां हिस्सा होगा (

10 )यदि वे भाई बहिन अधिक हों ,तो एक तिहाई में सब शामिल होंगे (

11 )और अल्लाह बड़ा जानने वाला और सहनशील है ".

सूर -निसा 4 :12

2 -कुरान के अनुसार वसीयत की गणना

अब दिए गये नियमों के अनुसार मृतक द्वारा सम्पति को उसके पीछे छोड़े गए वारिसों में बांटने की गणना की जाती है .इसके लिए दो कल्पित व्यक्तियों के उदहारण लिए है .और फिर देखते हैं नियमों का पालन करते हुए मृतक की सम्पति का उचित बटवारा हो सकता है या नहीं .आसानी के लिए सम्पति एक लाख ( 100000 /-) मान ली गयी है एक व्यक्ति का नाम जैद और दुसरे का नाम गफूर लिया गया है .

पहिली वसीयत

-जैद ने अपनी मौत के बाद एक लाख रूपया ,और तीन पुत्रियाँ ,माता -पिता और एक पत्नी को छोड़ गया था .उसकी सम्पति का कुरान के नियमों के अनुसार बटवारा करना है .

1 -तीन पुत्रियों को -यदि दो से अधिक लड़कियाँ हों ,तो उनका सम्पति में दो तिहाई हिस्सा होगा .सूरा -निसा 4 :11

एक लाख का दो तिहाई =2 /3 =66 .66 %=66 666 /-रूपया

2 -माता पिता के लिए -माता पिता का हिस्सा एक तिहाई होगा .सूर निसा 4 :11

एक लाख का एक तिहाई =1 /3 =33 .33 %=33333 /- रूपया

3 - पत्नी का हिस्सा -तुम जो छोड़ जाओ ,और तुम्हारे औलाद हो ,आठवां हिस्सा पत्नी का होगा होगा .

सूरा निसा 4 :12

एक लाख का आठवां हिस्सा =1 /8 =12 .8 %=12499 /-रूपया

कुल बटवारा -112499 /-(एक लाख बारह हजार चार सौ निनानवे रुपये ,जबकि कुल सम्पति है मात्र 100000 /- एक लाख रूपया

अर्थात 12499 /(बारह हजार चार सौ निन्नानवे )रूपया अल्लाह क्या जन्नत के बैंक से मंगवायेगा ?

दूसरी वसीयत -

गफूर ने अपनी मृत्यु के बाद एक लाख रूपया ,और केवल एक माता ,दो बहिनें और एक पत्नी को छोड़ा था .कुरान के नियमों के अनुसार उसकी सम्पति का उसके वारिसों में बटवारा करिए .

1 -माता का हिस्सा -उसकी माता का हिस्सा तिहाई होगा .सूरा निसा 4 :11

एक लाख का एक तिहाई =1 /3 =33 .33 %=33333 /- रूपया

2 -दो बहिनों का हिस्सा -यदि दो बहिनें हों तो ,उनका हिस्सा माल का दो तिहाई होगा .सूरा निसा 4 :11 और 12

एक लाख का दो तिहाई =66 .66 %=66666 /-

3 -पत्नी का हिस्सा -यदि उसके औलाद हो तो पत्नी का हिस्सा चौथाई होगा .सूरा निसा 4 :12

एक लाख का चौथाई =1 /4 =25 %=25000 /-रूपया

कुल रूपया व्यय 124999 /-( एक लाख चौबीस हजार नौ सौ निन्नानवे रूपया )

जबकि कुल सम्पति केवल एक लाख ही थी

अर्थात 24999 /-( चैबीस हजार चार सौ निन्नानवे ) रुपये कहाँ से आयेंगे ? क्या अल्लाह नए नोट छापेगा ?

इस से साफ पता चल जाता है की ,अल्लाह को एक हाई स्कूल के विद्यार्थी से भी गणित का ज्ञान है .जबकि मुसलमान दावे करते हैं कि अल्लाह सबके कर्मों का हिसाब करता है ,और लिखता रहता है .जब अल्लाह की गणित का यह हाल है तो उसकी बुद्धि पर विश्वास बेकार है .

अल्लाह की तारीफ में जो भी कहा जाता है सब सिर्फ कपोल कल्पना है .अल्लाह ईश्वर नहीं एक व्यक्ति होगा .(87/28)
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