एक अकेला समर प्रांगण, आततायी चहूँ और हैं,
चक्रव्यूह में घिरा अभिमन्यु, कौरव दल चहूँ और हैं।न्यायपालिका पुलिस प्रशासन, दुश्मन के मोहरे,
तम में निपट अकेला बढ़ता, भेड़िये चहूँ और हैं।
यह तो सच है ग़द्दारों को, सजा मिलेगी मौत की,
अधर्म के साथ पितामह, सजा मिलेगी मौत की।
घर के भीतर छिपे हुए जो, निर्लिप्त बतलाते हैं,
अपने हों या ग़ैर सभी को, सजा मिलेगी मौत की।
अ कीर्ति वर्द्धन
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