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मौन स्वर्ण है—

मौन स्वर्ण है—

मौन
अक्सर
मौन रहकर भी
मुखर हो जाता है
जब
प्रश्न का उत्तर
मौन बन जाता है
उत्तर देने वाले का
उत्तर
प्रश्नकर्ता
कभी
समझ जाता है
तो कभी
मौन के भंवर में
प्रश्नकर्ता
उलझ जाता है।
मौन
स्वयं में
प्रश्न है
मौन ही
उत्तर भी है।
मौन
केवल मौन नही
अपितु
वह आवाज है
जिसे
सब सुन नही पाते
समझ नही पाते
और
गुन नही पाते।
तभी तो कहते हैं
बोलना रजत है
और मौन सवर्ण है।

अ कीर्ति वर्धन
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