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मां तेरा अभिनंदन है , चरणों की धूल ही चंदन है ।

मां तेरा अभिनंदन है , चरणों की धूल ही चंदन है ।

मां तेरा सदा अभिनंदन है ,
चरणों की धूल ही चंदन है ।
तेरी गोद में जन्में पले बढ़े ,
तेरे चरणों में मेरा वंदन है ।।
तुझ पर ही हम जन्म लिए ,
तुमने ही हमें पोषा पाला ।
तेरे कारण ही बड़ा हुआ मैं ,
हर बुराईयों को तूने टाला ।।
तेरे तो हम बहुत ही ऋणी ,
तेरा कर्ज तो बहुत है भारी ।
हजारों जन्म लेकर किसी ने ,
आजतक कर्ज कहां उतारी ।।
हर जन्म तेरा कर्ज है बढ़ता ,
मां हमें तू अब क्षमा करना ।
तेरे चरणों में सदा नमन है ,
भूल चूक भी मां क्षमा करना ।।
पूर्णतः मौलिक एवं
अप्रकाशित रचना
अरुण दिव्यांश
डुमरी अड्डा
छपरा ( सारण )बिहार ।
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