लाइमलाइट की सीवीडी डायमंड जूलरी अब सहगल जूलर्स, रोहतक में उपलब्ध
- इको-फ़्रेंडली हीरों के दम पर टिकाऊपन के ऊंचे मापदंड स्थापित करती है
लैब ग्रोन डायमंड्स भारत में महत्वपूर्ण उपस्थिति दर्ज करा रहे हैं और दुनिया भर में लोकप्रिय हो रहे हैं। लैब ग्रोन डायमंड्स न सिर्फ खरे होते हैं, बल्कि जेब पर भारी भी नहीं पड़ते और पर्यावरण के लिहाज से भी अनुकूल हैं। पूरी दुनिया में लैब ग्रोन डायमंड्स के जगमगाते हुए विकास और भारत के टाइप IIए सीवीडी डायमंड्स का सबसे बड़ा उत्पादक होने के बल पर भारत एक बार फिर श्रेष्ठ गुणवत्ता वाले हीरों के प्रमुख निर्माता के तौर पर मशहूर हो रहा है।
इनके बारे में बढ़ती जागरूकता और सोने व प्राकृतिक हीरों की महंगाई के चलते, उपभोक्ता इस सीजन में लैब ग्रोन डायमंड्स के वाजिब विकल्प को अपना रहे हैं। चेन्नई में हीरों के आभूषणों की मिलेनियल के बीच बढ़ती मांग को देखते हुए, भारत के सबसे बड़े टिकाऊ लक्जरी ब्रांड लाइमलाइट लैब-ग्रोन डायमंड्स के आभूषण अब रोहतक स्टेशन रोड पर स्थित सहगल जूलर्स में भी उपलब्ध होंगे। सहगल जूलर्स में उनके काउन्टर पर लाइमलाइट के सभी लैब विकसित सीवीडी हीरा जड़ित आभूषण मिलेंगे।
उपभोक्ताओं के लिए लैब ग्रोन डायमंड्स के कारोबार में प्रमुख लाइमलाइट डायमंड्स को टिकाऊ लैब ग्रोन डायमंड्स सीवीडी हीरा जड़ित सॉलिटेयर जूलरी में विशेषज्ञता हासिल है। लाइमलाइट के मुंबई और कोलकाता में अपने स्टोर हैं और इनके उत्पाद बंगलुरु, हैदराबाद, दिल्ली, अहमदाबाद, सूरत आदि समेत 25 शहरों में उपलब्ध हैं। जिससे ब्रांड भारतीय जूलरी बाजार में लगातार अपनी पैठ गहरी करता जा रहा है।
लाइमलाइट लैब-ग्रोन डायमंड्स की प्रबंध निदेशक और संस्थापक श्रीमती पूजा शेठ माधवन कहती हैं, “मेरी नजर में भारत के न सिर्फ लैब ग्रोन डायमंड्स के प्रोडक्शन हब के रूप में स्थापित होने की, बल्कि सबसे बड़े उपभोक्ता आधार के रूप में भी उभरने की संभावना है। लैब ग्रोन डायमंड्स के बारे में भारत में जागरूकता तेजी से फैल रही है। उपभोक्ता अब इन हीरों के बारे में अधिक शिक्षित हैं। टिकाऊ और पर्यावरण अनुकूल लेकिन किफायती रत्नों के रूप में लैब ग्रोन डायमंड्स की अनूठी और स्वतंत्र पहचान युवा उपभोक्ताओं में स्वीकृत है और देश भर में लैब ग्रोन डायमंड्स जड़ित आभूषणों की बिक्री में यह नजर भी आती है।’’
लैब ग्रोन डायमंड्स की लोकप्रियता के बारे में सहगल जूलर्स के मालिक देवेन्द्र सहगल कहते हैं, “लैब ग्रोन डायमंड्स के बारे में जागरूकता और इनकी मांग तेजी से बढ़ रही है और हम पर्यावरण-अनुकूल हीरों के प्रति ग्राहकों का बढ़ता रुझान देख रहे हैं। मिलेनियल्स हमारे संभावित उपभोक्ता हैं और वह लैब ग्रोन डायमंड्स में काफी उत्सुकता व दिलचस्पी दिखा रहे हैं। किफायती होने के कारण सीवीडी हीरों के प्रति बढ़ते आकर्षण के साथ हमने महसूस किया है कि हमें अपने ग्राहकों को लाइमलाइट के लैब ग्रोन डायमंड्स जड़ित श्रेष्ठ आभूषण मुहैया कराने चाहिए। ये किफायती हीरे सुंदरता के नए पैमाने गढ़ेंगे और ये कल के युवा की पहचान भी हैं।”
लैब ग्रोन डायमंड्स खदान से निकाले गए हीरों की तरह ही होते हैं पर ये जमीन के नीचे विकसित होने के बजाय लैब में विकसित होते हैं। ठीक वैसे ही, जैसे टेस्ट ट्यूब बेबी और कुदरती तौर से जन्मे बच्चों की प्रक्रिया अलग होती है पर नतीजा एक जैसा होता है। लैब विकसित हीरे सौ फीसदी असली हैं जो जमीन की सतह के नीचे होने वाली हीरा निर्माण प्रक्रिया को दोहराते हुए विकसित किए जाते हैं। नतीजतन लैब ग्रोन डायमंड्स में वही रासायनिक, ऊष्मीय, ऑप्टिकल और फिज़िकल विशेषताएं होती हैं, जैसी कि खदान से निकाले गए हीरों में पाई जाती हैं।
लैब ग्रोन डायमंड्स के दो प्रकार होते हैं - सीवीडी और एचपीएचटी। भारत की विशेषता खासकर केमिकल वेपौर डिपोजिशन (सीवीडी) तकनीक में है, जो टाइप IIए - हीरों का शुद्धतम प्रकार है, यह खदान से निकाले गए हीरों में भी दुर्लभ होता है। दूसरी तरफ एचपीएचटी हीरे चीन में विकसित होते हैं और उनमें धातुगत अशुद्धताएं होती हैं।
लैब विकसित हीरों की बढ़ती मांग से भारत के लिए निर्यात राशि में भी वृद्धि हुई है। वित्त वर्ष 2022 में लैब विकसित हीरों के निर्यात आँकड़े 1.3 बिलियन अमरीकी डॉलर थे और वित्त वर्ष 23 के दौरान इसके 2 बिलियन अमरीकी डॉलर हो जाने, यानी 54 फीसदी उछाल आने की संभावना है। इसके अलावा, भारत में लगभग 8000 हीरा तराशने वाली इकाइयों में से 20-25 फीसदी से ज्यादा लैब ग्रोन डायमंड्स की तराशी करने लगी हैं और 15 फीसदी केवल लैब विकसित हीरे ही तराशती हैं।कुल मिलकर, घरेलू और अंतरराष्ट्रीय मांग के कारण लैब ग्रोन डायमंड्स उद्योग लगातार तरक्की और विस्तार की राह पर है।
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