स्वास्तिक का महत्व।
संकलन पूर्णिमा
सनातन धर्म में स्वस्तिक चिह्न को बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। स्वस्तिक का चिह्न चारों दिशाओं से मंगल को आकर्षित करता है। स्वस्तिक के चिन्ह को सौभाग्य का सूचक माना गया है। स्वस्तिक चिन्ह को चंदन, कुमकुम या सिंदूर से बनाने पर ग्रह दोष दूर होतें है। साथ ही धन लाभ का योग बनता है। माना जाता है कि घर में स्वस्तिक का चिन्ह बनाने से माता लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं। किसी भी बड़े अनुष्ठान या हवन से पहले स्वस्तिक चिह्न निश्चितरूप से बनाया जाता है। यह चिह्न न केवल शुभता का प्रतीक है, बल्कि इसे बनाने से घर में सकारात्मक उर्जा का संचार होता। मान्यताओं के अनुसार, घर के मुख्य द्वार पर स्वस्तिक चिह्न बनाने से व्यक्ति के जीवन में और परिवार सुख-समृद्धि बनी रहती है। इतना ही नहीं, स्वस्तिक चिह्न से सभी मांगलिक कार्य सिद्ध होते हैं।
स्वास्तिक का अर्थ:
स्वास्तिक शब्द को "सु" एवं "अस्ति" का मिश्रण योग माना जाता है। यहाँ "सु" का अर्थ है- 'शुभ' और "अस्ति" का 'होना'। संस्कृत व्याकरण के अनुसार "सु" एवं "अस्ति" को जब संयुक्त किया जाता है तो जो नया शब्द बनता है- वो है "स्वस्ति" अर्थात "शुभ हो", "कल्याण हो"।
स्वास्तिक मंत्र :
ॐ स्वस्ति न इन्द्रो वृद्धश्रवाः।
स्वस्ति नः पूषा विश्ववेदाः।
स्वस्ति नस्तार्क्ष्यो अरिष्टनेमिः।
स्वस्ति नो ब्रिहस्पतिर्दधातु ॥
ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः ॥
"महान कीर्ति वाले इन्द्र हमारा कल्याण करो, विश्व के ज्ञानस्वरूप पूषादेव हमारा कल्याण करो। जिसका हथियार अटूट है ऐसे गरुड़ भगवान हमारा मंगल करो। बृहस्पति हमारा मंगल करो।"
हमारे खबरों को शेयर करना न भूलें| हमारे यूटूब चैनल से अवश्य जुड़ें https://www.youtube.com/divyarashminews https://www.facebook.com/divyarashmimag
0 टिप्पणियाँ
दिव्य रश्मि की खबरों को प्राप्त करने के लिए हमारे खबरों को लाइक ओर पोर्टल को सब्सक्राइब करना ना भूले| दिव्य रश्मि समाचार यूट्यूब पर हमारे चैनल Divya Rashmi News को लाईक करें |
खबरों के लिए एवं जुड़ने के लिए सम्पर्क करें contact@divyarashmi.com