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प्रकृति समस्त जीवों के जीवन का मूल आधार है : अर्पणा वाला

प्रकृति समस्त जीवों के जीवन का मूल आधार है : अर्पणा वाला

दिव्य रश्मि संवाददाता  जितेन्द्र कुमार सिन्हा की खबर |
प्रकृति समस्त जीवों के जीवन का मूल आधार है। उक्त बातें पटना साहिब स्थित मंगल तालाब गांधी सरोवर में आयोजित "माटी का नमन, वीरो का वंदन" कार्यक्रम को संबोधित करते हुए राम जानकी प्रगति सेवा संस्थान की सचिव अर्पणा बाला ने कही।
उन्होंने ने कहा कि प्रकृति का संरक्षण एवं संवर्धन सभी जीव जगत के लिए बेहद ही अनिवार्य है। प्रकृति पर ही पर्यावरण निर्भर करता है। गर्मी, सर्दी, वर्षा और वसंत ऋतु सब प्रकृति के सन्तुलन पर निर्भर हैं। यदि प्रकृति समृद्ध एवं सन्तुलित होगी तो पर्यावरण भी अच्छा होगा और सभी मौसम भी समयानुकूल सन्तुलित रहेंगे।
राम जानकी प्रगति सेवा संस्थान की ओर से नेहरू युवा केंद्र संगठन पटना, युवा कार्यक्रम एवं खेल मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा आयोजित "अमृता वाटिका" कार्यक्रम के अन्तर्गत 'माटी का नमन - वीरो का वंदन' कार्यक्रम आयोजित किया गया था।
संस्थान के प्रवक्ता शिवम जी सहाय ने अपने संबोधन में कहा कि प्रकृति असंतुलित होगी तो पर्यावरण भी असंतुलित होगा और अकाल, बाढ़, भूस्खलन, भूकम्प आदि जैसे अनेकों प्रकार की प्राकृतिक आपदाएं कहर ढाने लगेंगी। प्राकृतिक आपदाओं से बचने और पर्यावरण को शुद्ध बनाने के लिए पेड़ों का होना बहुत जरूरी है। जबकि पेड़ प्रकृति का आधार हैं। पेड़ों के बिना प्रकृति के संरक्षण एवं संवर्धन की कल्पना भी नहीं किया जा सकता है। इसलिए हमारे पूर्वजों ने पेड़ों को पूरा महत्व दिया था। वेदों-पुराणों और शास्त्रों में भी पेड़ों के महत्व को समझने के लिए विशेष जोर दिया गया है। पुराणों में स्पष्ट तौर पर लिखा है कि एक पेड़ लगाने से उतना ही पुण्य मिलता है, जितना कि दस गुणवान पुत्रों से यश की प्राप्ति होती है। इसलिए, जिस प्रकार हम अपने बच्चों को पैदा करने के बाद उनकी परवरिश बड़ी तन्मयता से करते हैं, उसी तन्मयता से हमें जीवन में एक पेड़ तो जरूर लगाना चाहिए और पेड़ लगाने के बाद उसकी सेवा व सुरक्षा करनी चाहिए। तभी हमें पेड़ लगाने का परम पुण्य हासिल होता है।
उन्होंने कहा कि भविष्य पुराण में वर्णन मिलता है कि जिसकी संतान नहीं है, उसके लिए वृक्ष ही संतान है। वृक्ष एक तरह से संतान की तरह ही मानव की उम्र भर सेवा करता हैं। इसलिए प्रत्येक व्यक्ति को एक पेड़ अवश्य लगाना चाहिए।
उक्त अवसर पर संस्थान के प्रोग्राम मैनेजर शाकंभरी ने कहा कि यदि प्रकृति को ईश्वर का दूसरा रूप कहा जाए तो कदापि गलत नहीं होगा। पेड़ों पर प्रकृति निर्भर करती है। पेड़ लगाना प्रकृति का संरक्षण व संवर्धन है और प्रकृति का संरक्षण व संवर्धन ईश्वर की श्रेष्ठ आराधना है।
पटना कार्यालय के अध्यक्ष अंशुमाली ने कहा कि एक पेड़ लगाने से असंख्य जीव-जन्तुओं के जीवन का उद्धार होता है और उसका अपार पुण्य सहजता से हासिल होता है। एक तरह से पेड़ लगाने से अपार पुण्य की प्राप्ति होती है। भारतीय संस्कृति में भी वृक्षारोपण को अति पुण्यदायी माना गया है। शास्त्रों में लिखा गया है कि एक पेड़ लगाने से एक यज्ञ के बराबर पुण्य मिलता है।
उन्होंने कहा कि पद्म पुराण में तो यहां तक लिखा है कि जलाशय (तालाब/बावड़ी) के निकट पीपल का पेड़ लगाने से व्यक्ति को सैंकड़ों यज्ञों के बराबर पुण्य की प्राप्ति होती है। केवल इतना ही नहीं भारतीय संस्कृति में एक पेड़ लगाना, सौ गायों का दान देने के समान माना गया है।
संस्थान के प्रवक्ता शिवम जी सहाय ने कहा कि संस्थान का अलग कार्यक्रम नकता दियारा, मर्ची, सबलपुर, सोनावापुर में किया जाएगा, जिसका समय और तारीख बाद में निर्धारित किया जाएगा।
उक्त कार्यक्रम में प्रोग्राम मैनेजर शाकंभरी, पटना कार्यालय के अध्यक्ष अंशुमली, सहयोग करता प्रेम सिंह त्यागी, संतोषी, पिंटिंग टीचर उपासना, उषा सिंह बजरंग दल, सोनी देवी, राखी देवी, रीना देवी सहित अन्य लोग उपस्थित थे और सभी लोगों ने पौधारोपण कार्यक्रम में भाग लिया।
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