Advertisment1

यह एक धर्मिक और राष्ट्रवादी पत्रिका है जो पाठको के आपसी सहयोग के द्वारा प्रकाशित किया जाता है अपना सहयोग हमारे इस खाते में जमा करने का कष्ट करें | आप का छोटा सहयोग भी हमारे लिए लाखों के बराबर होगा |

“प्रेस एवं पत्र-पत्रिका पंजीकरण विधेयक-2023” से प्रेस को मिलेगी अधिक स्वतंत्रता

“प्रेस एवं पत्र-पत्रिका पंजीकरण विधेयक-2023” से प्रेस को मिलेगी अधिक स्वतंत्रता

दिव्य रश्मि संवाददाता  जितेन्द्र कुमार सिन्हा की कलम से  |

राज्य सभा में “प्रेस एवं पत्र-पत्रिका पंजीकरण विधेयक-2023” ध्वनि मत से पारित हो गया है। प्रेस एवं पत्र-पत्रिका पंजीकरण विधेयक-2023 को इसलिए लाया गया है कि “प्रेस और पुस्तक अधिनियम, 1867” को निरस्त किया जा सके, क्योंकि नये विधेयक द्वारा पत्र पत्रिकाओं के शीर्षक सत्यापन और पंजीकरण की ऑन लाइन प्रक्रिया को सरल बनाया जाय।इस विधेयक में समाचार पत्र के प्रसार संख्या और सत्यापन का भी समावेश किया गया है। साथ ही इसमें भारत में विदेशी पत्रिकाओं के संस्करणों के प्रकाशन के लिए केन्द्र सरकार द्वारा पूर्व मंजूरी का भी प्रावधान किया गया है।


विधेयक में प्रेस और अपीलीय बोर्ड का प्रावधान है, जिसमें प्रेस परिषद के अध्यक्ष और इसके सदस्यों में से प्रेस परिषद द्वारा नामित दो सदस्य शामिल होंगे।विधेयक के अनुसार प्रकाशक पत्रिका के पंजीकरण प्रमाणपत्र शीर्षक में संशोधन के लिए प्रेस रजिस्ट्रार को आवेदन कर सकता है।


विधेयक का उदेश्य समाचार पत्रों और पत्रिकाओं की पंजीकरण प्रक्रिया को और अधिक सरल बनाना है। पंजीकरण प्रक्रिया निर्धारित 60 दिनों की अवधि में पूरी की जाएगी। इस विधेयक को लागू हो जाने पर पंजीकरण प्रक्रिया आठ चरण के बजाय केवल एक चरण में ही पूरी कर ली जाएगी। समाचार पत्र और पत्रिकाओं के प्रकाशकों को जिलाधिकारी और भारत के समाचार पत्र पंजीयक (आर एन आई) के प्रेस रजिस्ट्रार को ऑनलाइन आवेदन देना होगा।


इस विधेयक से प्रेस को अधिक स्वतंत्रता मिलेगी। यह विधेयक दोनों सदनों से पारित हो जाता है तो यह कानून भारत में समाचार पत्र-पत्रिकाओं को पंजीकृत करने की प्रक्रिया को आसान बना देगा और प्रेस और पुस्तक पंजीकरण अधिनियम, 1867 का स्थान ले लेगा।

नये विधेयक में आतंकवादी गतिविधियों में शामिल लोगों को समाचार पत्र और पत्रिकाओं के प्रकाशन की अनुमति नहीं मिल पायेगी। पहले छोटे अपराधों के लिए जुर्माना और छह महीने की कैद का प्रावधान था, लेकिन अब ज्यादातर प्रावधानों को अपराध की श्रेणी से हटा दिया गया है। अब नियमों का उल्लंघन करने पर सिर्फ जुर्माना लगाया जाएगा। विधेयक को सरल, बेहतर और कारोबारी सुगमता को बढ़ावा देने वाला है। यह विधेयक इसे साबित करता है कि वर्तमान सरकार प्रेस की स्वतंत्रता की समर्थक है। यह विधेयक, बदलते मीडिया परिदृश्य के अनुरूप है।
हमारे खबरों को शेयर करना न भूलें| हमारे यूटूब चैनल से अवश्य जुड़ें https://www.youtube.com/divyarashminews https://www.facebook.com/divyarashmimag

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ