Advertisment1

यह एक धर्मिक और राष्ट्रवादी पत्रिका है जो पाठको के आपसी सहयोग के द्वारा प्रकाशित किया जाता है अपना सहयोग हमारे इस खाते में जमा करने का कष्ट करें | आप का छोटा सहयोग भी हमारे लिए लाखों के बराबर होगा |

घर चला आता हूँ....

घर चला आता हूँ....

शाम होते ही घर के लिए चला आता हूँ,
परिन्दों सा अन्दाज़ लिए आता हूँ।
तकता है कोई राह घर के दरवाजे पर,
उसके प्यार की खातिर चला आता हूँ।
नन्हा चूजा झाँकता रहता घोंसले से,
उसके लिए दाना लिए आता हूँ।
किया था वादा शाम ढले आने का,
वादा निभाने की खातिर दौड़ा आता हूँ।

डॉ अ कीर्तिवर्धन
हमारे खबरों को शेयर करना न भूलें| हमारे यूटूब चैनल से अवश्य जुड़ें https://www.youtube.com/divyarashminews https://www.facebook.com/divyarashmimag

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ