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सुनकर लिखने की सुंदर कला है 'श्रुतिलेख', होती है मेधा की परख:- डा अनिल सुलभ

सुनकर लिखने की सुंदर कला है 'श्रुतिलेख', होती है मेधा की परख:- डा अनिल सुलभ

  • हिन्दी पखवारा के अंतर्गत साहित्य सम्मेलन में आयोजित हुई विद्यार्थियों की प्रतियोगिता, ख़रीदीं पुस्तकें ।
  • आज आयोजित होगी काव्य-कार्यशाला, सिखायी जाएगी कविताई !

पटना, २ सितम्बर। हिन्दी पखवारा के अंतर्गत शनिवार को, बिहार हिन्दी साहित्य सम्मेलन में, विद्यार्थियों के लिए 'श्रुतिलेख-प्रतियोगिता' का आयोजन किया गया। प्रतियोगिता के पूर्व सम्मेलन अध्यक्ष डा अनिल सुलभ ने कहा कि 'श्रुतिलेख', सुनकर लिखने की सुंदर कला है। इससे मेधा, एकाग्रता और श्रवण-क्षमता की भी परख होती है। इसमें वाचक को भी सावधान रहना होता है। उच्चारण-दोष से अनेक भूलें हो सकती हैं।
प्रतियोगिता में ८वीं कक्षा तक के विद्यार्थी सम्मिलित किए गए थे। प्रतियोगिता आयोजन समिति के सदस्य कुमार अनुपम ने आचार्य शिव पूजन सहाय की एक कहानी के अंश का वाचन किया, जिसे सुन कर विद्यार्थियों ने लेखन किया। इस अवसर पर आयोजन समिति के संयोजक अशोक कुमार, डा मधु वर्मा, प्रो सुशील कुमार झा, बाँके बिहारी साव, डा नागेश्वर प्रसाद यादव समेत बड़ी संख्या में विद्यार्थियों के अभिभावक एवं शिक्षक गण उपस्थित थे।
प्रतियोगिता में 'बाल्डविन सोफ़िया स्कूल, बोरिंग रोड, पटना, 'प्रभु तारा उच्च विद्यालय, गुलज़ार बाग, संत जौंस पब्लिक हाई स्कूल, चानमारी रोड, पटना, 'किलकारी बिहार', बाल भवन, सैदपुर, पटना, आचार्य सुदर्शन सेंट्रल स्कूल, कंकड़बाग, पटना के विद्यार्थियों ने भाग लिया। सम्मेलन में लगाए गए 'पुस्तक चौदस मेले के विभिन्न दीर्घाओं से विद्यार्थियों और अभिभावकों ने पुस्तकों की भी ख़रीद की। पुस्तक मेले में 'राष्ट्रीय पुस्तक न्यास' समेत विभिन्न प्रकाशकों की पुस्तकें 10 से 50 प्रतिशत तक की छूट पर मिल रही है। स्मरणीय है कि शुक्रवार को हिन्दी पखवारा के साथ 'पुस्तक चौदस मेला' का भी उद्घाटन हुआ था और सिक्किम के पूर्व राज्यपाल गंगा प्रसाद एवं बिहार के उद्योग मंत्री समीर कुमार महासेठ समेत अतिथियों ने पुस्तकें ख़रीद कर इसका उद्घाटन किया था। पखवारा के तीसरे दिन रविवार को अपराह्न तीन बजे से काव्य-कार्यशाला आयोजित है, जिसमें काव्य-सृजन में रूचि लेने वाले प्रत्येक व्यक्ति भाग ले सकते हैं। सभी निबन्धित प्रतिभागियों को प्रशिक्षण का प्रमाण-पत्र दिया जाएगा। कार्यशाला में पद्य के विविध रूपों, छंद, अलंकार, मात्राओं की गणना आदि सभी आवश्यक तत्त्वों पर विशेषज्ञगण प्रशिक्षण देंगे।
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