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चलो आज फिर दुश्मन को बता दें,

चलो आज फिर दुश्मन को बता दें,

सेना की ताकत पाक को दिखा दें।
आतंक का जवाब कैसे दिया जाता,
विश्व बिरादरी को आज समझा दें।


भारत का धर्म सदा शान्ति से रहना,
गीता का सन्देश दुनिया को सुनाना।
शांति की खातिर गर युद्ध हो जरूरी,
अपना पराया कोई नही याद रखना।


बिगडा है भाई, शायद मान जाये,
बडे की इज्जत, छोटा जान जाये।
यही सोच कर हम समझाते रहे हैं,
मानवता का अर्थ शायद जान जाये।


चीन जैसों के उकसावे में आकर,
अपने घर में दुश्मनों को बसा कर
आतंकियों की कठपूतली बना जो,
खुश हो रहा निज घर आग लगाकर।


हमने तो चाहा था उसको हरदम मनाना,
कहा था आतंक का न बनना ठिकाना,
नही समझे कोई जब बात शान्ति की,
है निर्णय उसे अब जड से मिटाना।

डॉ अ कीर्तिवर्धन
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