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राष्ट्रगान भी बदलने की जरुरत है !

राष्ट्रगान भी बदलने की जरुरत है !

लेखक बृज नंदन शर्मा ( सत्यवादी )
कोई भी स्वाभिमानी देश स्वतन्त्र होने पर दासता की निशानी नहीं रखता , इसी लिए कई शहरों के नाम बदले गए और इंडिया का सरकारी नाम भारत कर दिया गया लेकन अभी तक किसी ने इस बात पर गौर नहीं किया कि आज हमें राष्ट्रगान बदलने की जरूरत है
1-भारत का राष्ट्रगान किसके लिए और कब बना था
दुनियां में जितने देश अंगरेजों के अधीन थे उन्होंने स्वतंत्र हो कर अपने राष्ट्गान बना लिए लेकिन भारत एक मात्र ऐसा स्वतन्त्र देश है जो आज भी 1911 में भारत में पधारे इंगलेंड के सम्राट और साम्राज्ञी के स्वागत के लिए सम्मान प्रकट करने लिए गीत को ही अपना राष्ट्र गान मानता है
अक्सर लोग यह सिद्ध करने में लगे रहते हैं की राष्ट्रगीत ईश्वर की स्तुति में लिखा गया था न की सम्राट की स्तुति में ,परन्तु सत्य यह कि
जन गण मन= गीत जार्ज पंचम के स्तुतिगान के रूप में लिखा गया। गुरुदेव स्वयं यह स्वीकार करते हैं कि सम्राट के आगमन के अवसर पर एक सरकारी अधिकारी ने उनसे सम्राट की प्रशंसा में एक गीत लिखने को कहा था। उन्होंने ऐसा गीत लिखने से इनकार नहीं किया था। अब आगे का कथाक्रम देखें-यह गीत 1911 में लिखा गया। यह वही वर्ष था, जिस वर्ष जार्ज पंचम अपनी महारानी के साथ भारत आए और यहां पर उनके राज्याभिषेक का दरबार सजा। यह भारत के ब्रिटिश इतिहास की एक अत्यंत महत्वपूर्ण घटना थी। ठाकुर रवीन्द्रनाथ ने 27 दिसम्बर 1911 के कांग्रेस की महासभा में पहली बार यह गीत प्रस्तुत किया। अधिवेशन का यह दूसरा दिन था जो सम्राट के अभिनंदन के लिए समर्पित था। इस दिन का केवल एक एजेंडा (कार्यक्रम) था सम्राट के सम्मान में प्रस्ताव पारित करना। उसी दिन रवीन्द्रनाथ ने यह बंगला गीत प्रस्तुत किया। उस दिन सम्राट के सम्मान में एक हिन्दी गीत भी प्रस्तुत किया गया, जिसे रामभुज चौधरी द्वारा गाया गया। लेकिन अखबारों में ठाकुर के अभिनंदन गीत की ही चर्चा रही।28 दिसम्बर 1911के स्टेट्समन में खबर छपी 'बंगला कवि बाबू रवीन्द्रनाथ टैगोर ने सम्राट के स्वागत में विशेष रूप से रचित अपना गीत प्रस्तुत किया
(द बंगाली पोयट बाबू रवींद्रनाथ टैगोर सैंग ए सांग कंपोज्ड बाई हिम स्पेशली टु वेलकम द इम्परर)
"the bengali poet babu Ravidranath tagore sang a song composed by him specially to welcome the Emperor"


। इसी तरह 'इंग्लिश मैन समाचार पत्र ने लिखा - कांग्रेस की कार्रवाई बाबू रवीन्द्रनाथ टैगोर द्वारा प्रस्तुत गीत के साथ शुरू हुई जिसे उन्होंने सम्राट के सम्मान में विशेष रूप से लिखा है।


(द प्रोसीडिंग बिगैन विद द सिंगिंग बाई बाबू रवीन्द्रनाथ टैगोर ऑफ ए सांग स्पेशली कम्पोज्ड बाई हिम इन आनर ऑफ द इम्परर)
"The prosiding began with the singing by babu Ravindra nath tagor of a song specially composed by him in honour of the Emperor "English man


। एक और अंग्रेजी दैनिक 'इंडियन ने लिखा, 'बुधवार 27 दिसंबर 1911 को जब राष्ट्रीय कोंग्रेस की कार्रवाई शुरू हुई तो सम्राट के स्वागत में एक बंगाली गीत गाया गया। सम्राट और साम्राज्ञी का स्वागत करते हुए सर्वसम्मति से एक प्रस्ताव भी पारित किया गया

(व्हेन द प्रोसीडिंग ऑफ द नेशनल कांग्रेस बिगैन आन द वेडनेसडे 27थ डिसेम्बर 1911, ए बेंगाली सांग इन वेलकम ऑफ द इम्परर वाज संग ए रिजोल्यूशन वेलकमिंग द इम्परर एंड इम्प्रेस वाज आल्सो इडाप्टेड एनानिमसली)
"when the proseedig of the national Congress began on wednesday 27th December 1911a bengali song in welcome of the Emperor was sang a resolution welcoming the Emperor and Empress was also adopted anomiously"


2-राष्ट्रगान कान्ग्रेस ने स्वीकृत किया था
।वास्तव में 1911 की भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस, अंग्रेज सरकार के प्रति वफादार भारतीयों का ही संगठन था। इसिलए यदि उस समय कांग्रेस ने सम्राट के अभिनंदन में प्रस्ताव पारित किया अथवा रवीन्द्रनाथ टैगोर ने उनकी प्रशंसा में गीत गाया तो इसमें कोई आश्चर्य की बात नहीं। आश्चर्य की बात तो यह है कि देश जब स्वतंत्र हुआ तो इस अंग्रेज महाप्रभु की प्रशस्ति में लिखे हुए गीत को इस स्वतंत्र राष्ट्र का प्रतीक गीत बना दिया 1911 के बाद यह गीत बहुत दिनों तक ब्रह्म समाज की पत्रिका 'तत्वबोध प्रकाशिका के पन्नों में ही पड़ा रहा। टैगोर स्वयं इस पत्रिका के संपादक थे। =गीतांजलि=-जिसे नोबेल पुरस्कार मिला- में भी यह गीत शामिल किया गया, लेकिन स्वातंत्र्य आंदोलन या देश के जागरण अभियान में कहीं भूलकर भी किसी ने इसे याद नहीं किया। यदि यह देश गीत होता, तो इसकी इस तरह उपेक्षा नहीं हो सकती थी। यदि हम इसे थोड़ी देर के लिए ईश प्रार्थना ही मान लें, तो भी भारत जैसे सेकुलर देश का राष्ट्र गीत बनने लायक यह गीत नहीं था। अब बेहतर यह है कि स्वयं इस गीत की समीक्षा कर ली जाए। सारी टिप्पणियों को दरकिनार करके पाठक स्वयं अपने विवेक से यह निर्णय ले सकते हैं कि
3-वर्त्तमान राष्ट्रगान दासता की निशानी है


यह गीत किसके लिए लिखा गया।आज हम जिस राष्ट्रगान को गाते हैं उसमे पांच छंद थे पहला वाला हमारा राष्ट्रगान है जिसकी पहली पंक्ति में इंगलैड के सम्राट को भाग्यविधाता कहा है अंतिम छंद यह था
। जय , जय, जय हे जय राजेश्वर भारत भाग्य विधाता । जय हे, जय हे, जय हे।जय, जय, जय, जय हे।


इस तरह कांग्रेस ने गान स्वीकार करके हमें गुलाम बना दिया
4-राष्ट्रगान को सुधारा जाये
अतः इसे बदला जाये या सुधारा जाये मेरा सुझाव है
'जन गण मन अधिनायक जय हे भारत भग्यविधाता "की जगह
"जन गण मन सम्मानित जय हे , जय जय भारत माता "
इस सुधर से यह फायदा होगा कि ओवैसी जैसे भारत विरोधी नेताओं को झख मार् कर भारत माता की जय बोलना पड़ेगा सोचिये जब भारत और लंका में एकहि कुरान और एकहि शरीयत है और लंका के मुस्लिम नमो नमो लंका माता गा सकते हैं तो यहाँ विरोध क्यों करते है ? क्यंकि हमारा राष्ट्रगान आजादी के पहले बना था और लंका का आजादी के बाद .आप दौनों को पढ़ कर देखिये
5-लंका का राष्ट्रगान
सन 1940 में आनंद समाराकून ने सिंहल भाषा में नमो नमो माता नामक गीत की रचना की थी। 22 नवम्बर 1951 को सर एड्विन विजेयेरत्ने की अध्यक्षता वाली एक समिति ने इस गीत को आधिकारिक रूप से श्रीलंका के राष्ट्रगान के रूप में अपनाया था। इस राष्ट्रगान का तमिल अनुवाद एम. नल्लाथम्बी ने किया था।[1
6-श्री लंका माता-ශ්‍රී ලංකා මාතා
अप श्री ..... लंका नमो, नमो, नमो, नमो माता!
सुन्दर सिरि बरिनी
सुरेन्दी अति सोबमान लंका
धान्य धनय नेका मल पल तुरु पिरि
जय भूमिय रम्या
अप हट सेप सिरि सेत सदना
जीवनये माता
पिलिगनु मेना अप भक्ति पूजा
नमो, नमो माता
अप श्री . लंका नमो, नमो, नमो, नमो माता!
ओबावे अप विद्या, ओबामय अप सत्या
ओबावे अप शक्ति, अप हदा तुल भक्ति
ओबा अप आलोके, अपगे अनुप्राणे
ओबा अप जीवन वे, अप मुक्तिय ओबा वे
नव जीवन देमिने
नितिना अप पुबुदु करन, माता
ज्ञान वीर्य वडवमीना रेगेना
यनु मेना जय भूमि करा
एक मवकुगे दरू कला बविना
यमु यमु वी नोपमा
प्रेम वडा सम भेद दुरर दा
नमो, नमो माता
7-हिन्दी अनुवाद
मां लंका हम तुझे प्रणाम करते हैं!
हे माता, तेरी समृद्धि विपुल,
दया और ममता में तू अतुल,
अनाज और सुस्वाद फलों से लदी,
उज्ज्वल रंग के सुगंधित फूलों से खिली,
जीवन और सभी अच्छी चीजों की दात्री,
आनंद और विजय की हमारी भूमि,
हमारी आभारी प्रशंसा स्वीकार कर,
श्रीलंका! हम तेरी वंदना करते हैं।
अप श्री ..... लंका नमो, नमो, नमो, नमो माता!
प्रबुद्ध पाठक विचार करें कि भारत स्वतंत्र हो जाने पर भी 1911 के गुलामी के समय इंगलेंड के सम्राट के सम्मान में कांग्रेस द्वारा स्वीकृत वर्त्तमान राष्ट्रगान बदलने की जरुरत है ,कि नहीं ?नोट यह हमारे पुराने लेख 181 /83 का भाग है
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