उड़ान
रामू अपने गांव के बागीचे में दोस्तों के संग गुल्ली डंडा का खेल खेलते खेलते दूर तक अपने दंडे से गुल्ली को उड़ा कर बहुत खुश होता।तो कभी कागज का जहाज़ बनाकर
आकाश में उड़ान देता। उड़ते जहाज़ को देखकर उसकी खुशी का ठिकाना नहीं रहता।
रामू अब बड़ा हो गया है। उसके पिता गांव के छोटे कस्बे सै दूर अंग्रेजी स्कूल में दाखिला करवा देते हैं। स्कूल जाने के लिए पिताजी उसे एक पुरानी साईकिल खरीद कर देते हैं।
साईकिल पाकर वह बहुत ही खुश होता है। गुल्ली को उड़ानें वाला रामू अब साईकिल से सड़क पर फर्राटा मारता है। उसे तो लगता है उसके पिताजी ने उसे साईकिल नहीं हवाई जहाज लाकर दिया है।
सेकेंडरी की परीक्षा का आज ही परिणाम आया है। वह अपने स्कूल में अब्बल आया है।अच्छे अंक प्राप्त किया था। आज वह बहुत ही खुश हैं। खुश क्यों न हो। उसके सपनों को अब नया उड़ान मिलने वाला है। पिताजी ने कहा कि शहर के सबसे अच्छे कालेज में दाखिला करवा देंगे। और एक नया स्कुटर भी दिलवा देंगे।
राज प्रेसीडेंसी कालेज जो शहर का सबसे अच्छा कालेज है,के साइंस विभाग में उसका दाखिला हो गया। उसके उड़ान को और गति मिली। कुशाग्र बुद्धि का तो था ही। देखते देखते ही ईंटर की परीक्षा भी पास कर गया। उसकी चाहत थी ऐरोटैनिक इंजीनियर बनने की। पहले ही प्रयास में उसका दाखिला आई आई टी रूड़की में
हो गया । सभी सेमेस्टर में वह टाप किया। उसका चयन भारत की प्रसिद्ध रक्षा संस्थान सेल में हो गया।
अब उसकी जिंदगी वायुसेना के भिन्न-भिन्न प्रकार के विमानों के बीच गुजरता।कभी कभी सैनिक विमानों में भी उड़ता।
पर वह संतुष्ट नहीं है। उसे बार बार याद आते हैं वो गुजरे दिन। बार बार खो जाता है अपने अतीत में। उसे याद आता है गुल्ली को उड़ाना और दोस्तों के बीच अपनी शान बघारना। उसे कूरेदते हैं शाम का वह समय जब वह छत से पतंग उड़ाता दूर बहुत दूर तक उसकी पतंग हवा में कलाबाजी करती। दूसरे के पतंग पर प्रहार कर काट देता। और फिर उस पतंग को अपनी पतंग में फांस कर अपने पास ले आता। उस क्षण का विजयी मुस्कान उसे बार बार याद आती है।
कभी कभार जब वह अवकाश लेकर अपने गांव जाता तो गांव के बच्चों को गुल्ली डंडा का खेल खेलते देखता तो घंटों खड़ा हो बच्चों को खेलते देखता और ढ़ूढता अपने बचपना को। और उदास हो थके पांव और बोझिल पग बापस अपने घर आ जाता।
उसकी मां पिताजी बार बार उससे पूछते बेटा क्या बात हूं?तू उदास क्यों रहता है। वह क्या कहता। वह चाहता है उसका बचपना फिर से आ जाए। एक बार फिर वह ख्वाब की दुनिया में एक और लम्बी उड़ान भरे।
जितेन्द्र नाथ मिश्र
कदम कुआं
पटना।
हमारे खबरों को शेयर करना न भूलें| हमारे यूटूब चैनल से अवश्य जुड़ें https://www.youtube.com/divyarashminews https://www.facebook.com/divyarashmimag
0 टिप्पणियाँ
दिव्य रश्मि की खबरों को प्राप्त करने के लिए हमारे खबरों को लाइक ओर पोर्टल को सब्सक्राइब करना ना भूले| दिव्य रश्मि समाचार यूट्यूब पर हमारे चैनल Divya Rashmi News को लाईक करें |
खबरों के लिए एवं जुड़ने के लिए सम्पर्क करें contact@divyarashmi.com