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अंतहीन सफ़र

अंतहीन सफ़र

पंकज शर्मा


मेरा यह बेकल जीवन,
एक अंतहीन सफ़र है,
आगे क्या? नहीं ख़ब़र है,
जिसमें अनजानी हैं राहें,
घुमावदार डगर है।


खुशी और गम


कभी खुशियों से भरा,
कभी गम से घिरा,
कभी सीखता,
कभी बढ़ता,
कभी बदलता।


नई चीजों को पाता


नई चीजों को यह पाता,
बालक सा ख़ुश हो जाता,
तृष्णा को ना कम कर पाता,
अवसाद और विवाद,
क्या जीवन के हमसफ़र है?


कोई नहीं हम हमसफ़र


एक तरफ तो पांव अटल हैं,
दूसरा यह अंतहीन सफ़र है ,
चाहे ना हो कोई हमसफ़र,
पर अकेले ही पूरा करेंगे,
'कमल' इतना तो जिगर है।


. स्वरचित पंकज शर्मा (कमल सनातनी)
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