शिक्षक दिव्य प्रकाश है
जितनी बड़ी है यह धरती ,जितना बड़ा आकाश है ।
उससे बड़ा होता शिक्षक ,
शिक्षक दिव्य प्रकाश है ।।
उनका दिल तू छूकर देखा ,
शिक्षक नाम ये विश्वास है ।
दूर से इन्हें देखना नहीं है ,
निकट करना एहसास है ।।
शिक्षक होते उनसे बड़े ,
जिन्हें कहते हम काश हैं ।
शिक्षा संस्कार जागृत कर ,
चरित्रवानता हेतु आस हैं ।।
हर रिश्तों में अग्रणी होते ,
रिश्तों में रिश्ता खास है ।
शिक्षक है ऐसा सुंदर नाम ,
जो हर हृदय के पास है ।।
एक शिक्षक हर दिल छूता ,
हर दिल में लेता वास है ।
पावन पवित्र हृदय उनका ,
लोककल्याण हर श्वास है ।।
पूर्णतः मौलिक एवं
अप्रकाशित रचना
अरुण दिव्यांश
डुमरी अड्डा
छपरा ( सारण ) बिहार ।
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