तुम क्या जानो ....
नींद का आलम तुम क्या जानो,जाग कर देखो, सोओ तो जानो।
खुशबु फैलाते फूल जहां में कैसे,
इंसान बन के देखो, तो जानो।
उसके जनाजे के पीछे लाखों क्यूँ थे,
किसी का दर्द समझो, तो जानो।
सूनापन मेरी आँखों में क्यूँ है,
माँ चली जाये छोडकर, तो जानो।
जो जिया खुद की खातिर ज़माने में,
तन्हाई का आलम ‘कीर्ति’ उससे जानो।
डॉ अ कीर्तिवर्धन
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