संकल्प
हर एक अंत से हीनई शुरुआत होती है।
भूलाकर गिले शिकवो को
नई शुरुआत करते है।
लोग तो आते है जाते है
पर उनके काम याद आते है।
शायद इसकी को दुनियांदारी
दुनियां वाले कहते है।।
दिल व्याकुल हो या चंचल
ये किसी पर तो आता है।
हर किसी के जीवन में
ये लम्हा निश्चित आता है।
जब दिल और दिमाग
किसी के बस नहीं रहता।
बस उस साथी को
पल पल खोजता रहता है।।
उमंगो से भरा हो दिल
तो तरंगे लहराती है।
जो दिल में हो रंग
वो ही जुबान कहती है।
फिर सज सभर कर
दुनियां को दिखती है।
और अपनी मोहब्बत को
परवान चढ़ाती है।।
आँखो को आँखो से मिलाते है
दिलकी पीड़ा को बताते है।
प्यार मोहब्बत की ज्योत को
दिलों में हम जलाते है।
अमन चैन का वातावरण
पूरी दुनियां में फैलाते है।
और यही संकल्प लेने को
सारी दुनियां को कहते है।।
जय जिनेंद्र
संजय जैन "बीना"
मुंबई
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