तपस्वी तुम्हें नमन
तेरे नाम परिवार की शान,तपस्वी तुझ पर है अभिमान।
ओहो ओहो तुम पर,
हम को है अभिमान।
प्यार बहुत करते है तुझसे,
माता पिता और भाई बहिन।
ओहो माता पिता और भाई बहिन।।
हर पल हर दिन,
तेरी याद आती है।
धर्मकर्म वाली तेरी बाते,
हम सब को भाती है।
जैन धर्म से नाता
तेरा पूर्वभव का है।
मेरी लाड़ो तुम पर
सबका आशीष है।
तभी तो तभी तो
बेटी धर्म ध्यान इतना,
कठोर तप तुम करती हो।
ओहो ओहो कठोर तप
तुम करती हो।।
तेरी धर्म की अनुमोदना,
संजय भी करता है।
तुमको हाथों में लेकर,
सब घर वाले चलते है।
ज्ञान ध्यान साधना तेरी,
हम सब को दिखाती है।
तेरे ही कारण हम को,
अब ख्याति मिल रही है।
तू ही अब तू ही अब,
जैन परिवार की जान है।
ओहो ओहो परिवार की शान है।।
तेरे नाम परिवार की शान,
तपस्वी तुझ पर है अभिमान।
ओहो ओहो तुम पर
हमको है अभिमान।
प्यार बहुत करते है तुझसे
माता पिता और भाई बहिन।
ओहो ओहो माता पिता
और भाई बहिन।।
उपरोक्त भजन महापर्व पर्यूषण के दसवा (अनंत चौदस) दिवस उत्तम ब्रह्मचारी धर्म के उपलक्ष्य पर जैन श्रावको को संजय जैन की ओर से समर्पित है।
जय जिनेन्द्र
संजय जैन "बीना"
मुम्बई
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