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प्रगतिशील बने रहे

प्रगतिशील बने रहे

ऋचा श्रावणी
हार मैं मानती नहीं
असफलता से घबराती नहीं
फितरत है मेरी ऐसी कुछ
कोशिश लगातार करती रहती हूं
चांद पर जाना हो
या सूर्य को निकट लाना हो
कितने भी जोजन तय करना हो
इससे मैं कभी थकती नहीं
असफल होना कोई बुरी बात नहीं
लेकिन प्रयास छोड़ देना
यह भी तो सही लगता नहीं
छोटी छोटी कोशिशों के विफल होने से
सपनों को तोड़ता है कोई
संघर्ष कहो या चुनौती
या लोग कहे हमें पनौती
लक्ष्य जब तक मिलता नहीं
विश्राम करना सीखा नहीं
माना फल हमारे हाथ में नहीं
लेकिन इतना प्रयास करो
की ईश्वर दे वरदान वही
भाग्य में कुछ लिखा नहीं होता
अपने कर्म की सियाही से
स्वर्णिम भविष्य लिखती हूं यही
अगला पिछला जन्म क्या होता
जो करना है सही वक्त है अभी
दूसरों से तुलना कभी नहीं करती
खुद से खुद को बेहतर बनाती हूं
आत्म मंथन स्वयं का करती
किसी की कमी में व्यर्थ समय गंवाती हूं।
स्व रचित ऋचा श्रावणी
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