मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम
धरती से आकाश तक ,या फिर अंधकार से प्रकाश तक ,
हमारी कल्पना हो या फिर ,
शास्त्रीय प्रामाण हो ,
मुख्यतः ये तीन योनियां ही आती हैं ,
ये देव ,दानव और मानव कहलाती हैं ।
देवता स्वच्छ और सुंदर होते हैं ,
दानव कुरूप और भयंकर होते हैं ,
और मानव बुद्धिमान और साधारण होते हैं ।
देव रूप में त्रिदेव ही महान हैं ,
ब्रह्मा , विष्णु और शिव इनके नाम हैं ।
इनके बाद जो देव आते हैं ,
वे कार्तिकेय और गणेश कहलाते हैं ।
राम और कृष्ण तो विष्णु के ही रूप हैं ,
पर कृष्ण का मानव रूप भी अनूप है ।
कृष्ण के जितने काम ,उतने रूप और नाम हैं ,
गिरिधर, गोपाल और श्याम आदि नाम हैं ।
मनुष्य की समझ में ,
देवता सुन्दरता के खान हैं ।
पर इन देवों के मानव रूप की,
एक अलग पहचान है ।
ब्रह्मा जी के चार सिर हैं ,
तो विष्णु चार भुजाधारी हैं ।
शिव जी के तीन आंख हैं ,
तो श्री कृष्ण , बांके ( टेढ़ा )बिहारी हैं ।
कार्तिकेय षटबदन ( छ: सिर ) हैं ,
तो श्री गणेश जी गजानन हैं ।
इनमें ब्रह्मा विष्णु महेश क्रमशः ,
जगत के जन्मदाता , पालनकर्ता और ,
संघारकर्ता कहलाते हैं ।
वहीं गणेश जी प्रथम पूज्य और कार्तिकेय जी ,
देवताओं के सेनापति कहलाते हैं ।
एक राम ही ऐसे देव हैं , जो विष्णु होकर भी ,
जिनका सम्पूर्ण जीवन मानव शरीर है ,
और मानवीय मर्यादा स्थापित कर ,
मानव जीवन को सुखमय बनाना उनका आदर्श है ,
इसीलिए वे मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम हैं । जय प्रकाश कुंअर
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