जो समझ सके न मेरी व्यथा,
वह अपनी कथा सुनाते हैं,मेरे आँसू महज दिखावा,
अपनी पीड़ा गाते जाते हैं।
अपनी पीड़ाओं से हमने,
खुद को ही सहलाना चाहा,
नश्तर खुद के जख्म लगा,
हम दर्द को भी आजमाते हैं।
दर्द सभी के हमको लगते, अपने से,
जख्म सभी के हमको लगते, अपने से।
हम जख्मों पर, मरहम की बात बताते हैं,
स्नेह प्यार हमदर्दी, जख्मों को सहलाते हैं।
अ कीर्ति वर्द्धन
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