Advertisment1

यह एक धर्मिक और राष्ट्रवादी पत्रिका है जो पाठको के आपसी सहयोग के द्वारा प्रकाशित किया जाता है अपना सहयोग हमारे इस खाते में जमा करने का कष्ट करें | आप का छोटा सहयोग भी हमारे लिए लाखों के बराबर होगा |

जो समझ सके न मेरी व्यथा,

जो समझ सके न मेरी व्यथा,

वह अपनी कथा सुनाते हैं,
मेरे आँसू महज दिखावा,
अपनी पीड़ा गाते जाते हैं।


अपनी पीड़ाओं से हमने,
खुद को ही सहलाना चाहा,
नश्तर खुद के जख्म लगा,
हम दर्द को भी आजमाते हैं।


दर्द सभी के हमको लगते, अपने से,
जख्म सभी के हमको लगते, अपने से।
हम जख्मों पर, मरहम की बात बताते हैं,
स्नेह प्यार हमदर्दी, जख्मों को सहलाते हैं।

अ कीर्ति वर्द्धन
हमारे खबरों को शेयर करना न भूलें| हमारे यूटूब चैनल से अवश्य जुड़ें https://www.youtube.com/divyarashminews https://www.facebook.com/divyarashmimag

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ