आधुनिकता
संस्कार ठुकराने को शान समझते,संस्कृति बिसराने को मान समझते।
आधुनिकता ख़ातिर अर्द्धनग्न घूमना,
पुरखों की मर्यादा अपमान समझते।
हिन्दू नारी ही क्यों संस्कार त्यागती,
निज धर्म संस्कृति पर प्रहार कराती।
त्याग दिया सिन्दूर माथे पर बिंदिया,
चुन्नी पल्ला गये दौर की बात बताती।
माँ का आँचल नहीं कहीं दिख पाता है,
ममता का आँचल बातों में खो जाता है।
नहीं पिलाती दूध आँचल की छाँव में माँ,
बच्चा आया संग बोतल से पल जाता है।
अ कीर्ति वर्द्धन
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