अपने युवा शरीर पर आज इतना इतराते हो ।
चेहरा पर क्रीम पाउडर घंटो लगाते हो ।।हरदम प्रेम इश्क के चक्कर में मन को दौड़ाते हो ।
भला क्या है , बुरा क्या है ,समझ नहीं पाते हो ।।
नेक कार्य करने में तुम्हारा मन नहीं लगता है ।
दुखियों को दुख देना खुब तुम्हें फबता है ।।
धरम करम करने में तुम्हें आता पसीना है ।
जिंदा हो सही पर क्या ये भी कोई जीना है ।।
निर्बल के उपर जितना रौब तुम दिखाओगे ।
सबल के सामने तो तुम टीक नहीं पाओगे ।।
उम्र अभी बीता नहीं मानव कल्याण करो ।
दुसरों को खुशियां दे अपना जीवन खुशियों से भरो ।।
अच्छे इंसान की यही तो एक निशानी है ।
बाकी क्या है इस शरीर का ,इसे तो आनी जानी है ।।
देखते ही देखते एक दिन ऐसा आएगा ।
पंच तत्व रचित तेरा तन पंच तत्व में मिल जाएगा ।। जय प्रकाश कुंअर
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