जब जब होई धरम की हानी , बाढ़हिं असुर अधम अभिमानी ।

जब जब होई धरम की हानी , बाढ़हिं असुर अधम अभिमानी ।

जय प्रकाश कुंअर
सोशल मीडिया पर बिहार के शिक्षा मंत्री के एक अभिभाषण को देख कर तो यही लगता है कि महज वोट की राजनीति और राजनीतिक लाभ के लिए ये तथा ऐसे बहुत सारे नेतागण भारतवर्ष की युगों युगों से चली आ रही धार्मिक और सनातनी व्यवस्था पर घोर प्रहार कर हमारे समाज को तहस नहस कर देश की आम जनता में संभावित फूट डालकर और विद्रोह फैलाकर देश को कमजोर करना चाहते हैं और एक बार फिर से देश को गुलामी की ओर धकेलना चाहते हैं । शिक्षा मंत्री ने श्री रामचरितमानस जैसे हिन्दूओं के महान और पूज्य ग्रंथ को पोटासियम सायनाइड जैसा तीव्र और घातक जहर बताया है । उन्होंने श्री रामचरितमानस में किसी संदर्भ में लिखित इस तथ्य की घोर आलोचना की है कि ब्राह्मण अगर अनपढ़ भी है तो वह पूज्य है । उन्होंने श्री रामचरितमानस जैसे पूज्य ग्रंथ का बिना पुर्ण अध्ययन किये और उसमें उल्लिखित तथ्यों के संदर्भ को बिना समझे इस तरह की आलोचना कर अपने खोखले दिमाग को दर्शाया है ।
भारतवर्ष हमेशा से सनातन धर्म को मानने वाला देश रहा है और इस सनातन धर्म पर चलने के आचरण के चलते ही हमारा देश दूनिया का सिरमौर रहा है । हमारे पूर्वज विद्वानों और ऋषि मुनियों ने यहां वर्ण व्यवस्था कर हमारे समाज को संतुलित , स्वच्छ और पवित्र बनाए रखने का प्रयत्न किया है । और इस व्यवस्था के तहत ही उन्होंने कभी भी इस देश को खंडित नहीं होने दिया है ।इसी व्यवस्था के तहत देश की सारी जनता प्रेम , भाईचारा और संपूर्ण सौहार्द के साथ एक दूसरे के सुख दुख में हाथ बंटाते हुए चल रही है ।
लेकिन विडंबना यह है कि अब देश में वोट की राजनीति के चलते और राजनीतिक लाभ के लिए राजनीतिज्ञों और नेताओं ने यहां तक कि हमारे धर्मग्रंथों की भी आलोचना करते हुए उसमें उल्लिखित कुछ पंक्तियों का संदर्भ और अर्थ अनाप शनाप बता कर समाज को बांटने और तोड़ने का काम शुरू कर दिया है । इससे उनको भविष्य में राजनीतिक लाभ मिलेगा या नहीं , परंतु हिन्दू धर्म ग्रंथों की आलोचना कर और सनातन धर्म पर प्रहार कर ये लोग समाज का अहित तो जरूर ही करेंगे । सनातन धर्म भारतवर्ष की धरोहर और मूल मंत्र है इसे हर हाल में बचाए रखना हमारा धर्म है ।
अगर हम भारतीय जनता सनातन धर्म की रक्षा करने में कमजोर पड़ते हैं अथवा चुकते हैं तो निश्चित रूप से प्रकृति ( भगवान ) अपना काम करेंगे , क्योंकि ऐसी मान्यता है कि :--
जब जब होई धरम की हानी ,
बाढ़हिं असुर अधम अभिमानी ।
तब तब धरि प्रभु विविध शरीरा ,
हरहि दयानिधि सज्जन पीरा ।।
अतः मुझे आग्रह के साथ सभी राजनीतिक पार्टियों के नेताओ और देश के राजनीतिज्ञों तथा देश की आम जनता से भी यह कहना है किभारतवर्ष के सनातन धर्म पर अनर्गल वक्तव्य न देकर सनातन धर्म को अक्षुण्ण बनाए रखने हेतु प्रयत्न करें तथा हिन्दूओं के धर्म ग्रंथों पर अनावश्यक और अश्लील टिप्पणी करने से बचें ।
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