मेरे सपनों की उड़ान
मेरे सपनों की उड़ान ये न्यारी,संघर्षों की रज से है संवारी,
विधाता ने भाल पर लिख दी,
संघर्ष की विजय गाथा हमारी।
कर्मों के पथ पर चलकर,
सपनों को सार्थक किया,
साहस ने दिया है संबल,
इच्छाशक्ति ने बल दिया।
पराजय से मैं ना घबराया,
सपनों के पंखों पर चढ़ा,
संघर्षों की सरिता में तैरा,
अशीषों की नैया पर बढ़ा।
नए क्षितिज अब मुझे छूनें हैं,
सपनों को नई उड़ान देना है,
संघर्षों को हरा आगे बढ़ना है,
लक्ष्यों को अब प्राप्त करना है।
संघर्षों ने मजबूत बनाया,
सपनों ने मुझे प्रेरित किया,
मैंने कभी हार ना स्वीकारी,
प्रगति का है प्रयास किया।
मेरा लक्ष्य अभी अधूरा है,
सपने सच होना बाकी है,
संघर्षों से मैं नहीं भयभीत,
सुनिश्चित होगी मेरी जीत।
स्वरचित एवं मौलिक पंकज शर्मा (कमल सनातनी)
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