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सुर्ख गुलाब

सुर्ख गुलाब

महकता रहता
गुलशन में।


उसकी खुश्बू
अहसास कराती
गुलशन में।


सुर्ख हुआ क्यों
जलता है किससे
गुलशन में।


तितली भौंरे
भंवरे मंडराते
गुलशन में।


प्यार जताते
तोड़कर गुलाब
गुलशन में।


प्रेमी युगल
भयभीत गुलाब
गुलशन में।


कीर्ति वर्द्धन
लेखक समीक्षकराष्ट्र चिंतक
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