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केएल डीम्ड टू बी यूनिवर्सिटी ने सफलतापूर्वक अपना पहला सैटेलाइट केएलसैट लांच किया, वायुमंडल मापन प्रौद्योगिकी में एक महत्वपूर्ण कदम बढ़ाया|

केएल डीम्ड टू बी यूनिवर्सिटी ने सफलतापूर्वक अपना पहला सैटेलाइट केएलसैट लांच किया, वायुमंडल मापन प्रौद्योगिकी में एक महत्वपूर्ण कदम बढ़ाया|

27 सितंबर 2023 - केएल डीम्ड टू बी यूनिवर्सिटी यह गर्व से घोषणा करती है कि उन्होंने अपनी पहली सैटेलाइट - केएलसैट की सफ़लतापूर्वक उड़ान भरी है , यह उड़ान विजयवाड़ा कैम्पस के ग्रीन फील्ड्स मे भरी गई और यह वायुमंडल मापन प्रौद्योगिकी में एक महत्वपूर्ण कदम है। इस मिनिएचर सैटेलाइट मे वायुमंडलीय सेंसर 1U क्यूबसैट लगा हुआ है। यह सैटेलाइट तेज गति से 28 किलोमीटर (92,000 फीट) की ऊंचाई तक पहुँची और अनुसंधान के उद्देश्यों के लिए मूल्यवान डेटा को जुटाया। लैंडिंग प्रक्रिया के दौरान, इसने अपने पैराशूट को प्रसारित किया ताकि सैटेलाइट की गति को नियंत्रित किया जा सके, और जैसा की प्रत्याशित था, यह सैटेलाइट लगभग 80 किलोमीटर के रेडियस के भीतर सुरक्षित रूप से उतर गयी। 10:30 बजे, सैटेलाइट से सिग्नल वुटुकुरु के पास से ट्रैक किए गए।
केएलसैट प्रोजेक्ट एक प्रयास है जिसका उद्देश्य दिए गए विशिष्ट क्षेत्रों में वायुमंडल मापन प्रौद्योगिकी की समझ को आगे बढ़ाना है। इसमें जोड़े गए जटिल घटकों को एक संयुक्त प्रणाली के द्वारा प्रयोग किया जाता है, जो सुगमता से मिलकर काम करते हैं ताकि महत्वपूर्ण डेटा को दर्ज किया और प्रसारित किया जा सके, जिससे पृथ्वी के वायुमंडल पर वैज्ञानिक अनुसंधान में बेहतरीन योगदान दिया जा सके।
इस मिशन की सफलता टेलीमेट्री परत पर निर्भर करती है, जो संचालन और डेटा प्रसारण के लिए जिम्मेदार एक मौलिक घटक है। इस परत में तीन महत्वपूर्ण घटक हैं: क्लैप , स्पेससेट ट्रैकर मॉड्यूल, और जीपीएस मॉड्यूल। क्लैप जो कि केएल डीम्ड टू बी यूनिवर्सिटी में hi विकसित किया गया है, यह सुगम डेटा प्रसारण और भूमि संचालन सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। ग्राउंड स्टेशन कि एंटीनाएं बेहतरीन तरीके से डिज़ाइन की गई हैं जोकि HF, UHF, और UHF बैंड्स के छह फ्रीक्वेंसी पर काम करती हैं। क्लैप, एक टेलीमेट्री मॉड्यूल, और स्पेससेट ट्रैकर हार्डवेयर मॉड्यूल हैं जो स्थानीय रूप से विकसित किए गए हैं, साथ ही ऑनबोर्ड कंप्यूटर्स, बैटरी प्रबंधन, और अन्य संचालन मॉड्यूल्स है । ग्राउंड स्टेशंस समग्र मिशन के संचालन और अवलोकन के हिस्से के रूप में स्थापित किये गए है।
केएलसैट की टीम और यूनिवर्सिटी के समुदाय के प्रयासों की सराहना करते हुए," के.एल डीम्ड टू बी यूनिवर्सिटी के प्रेजिडेंट श्री कोनेरु सत्यनारायणा ने कहा, "मुझे गर्व है कि मैं केएलसैट के सफल लॉन्च को देख पाया , जो केएल डीम्ड टू बी यूनिवर्सिटी की ज्ञान और नवाचार की तरफ किये गए अथक प्रयास का प्रमाण है। यह उपलब्धि केवल वायुमंडल मापन प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर ही नहीं है, बल्कि हमारे संस्थान के लिए भी एक बड़ा कदम है। हम हमेशा वैज्ञानिक खोज और प्रौद्योगिकी उन्नति की सीमाओं को बढ़ाने के लिए सदैव समर्पित है । जब हम अंतरिक्ष में निकलेंगे, तो केएलसैट बेशक हमें पृथ्वी के वायुमंडल में मूल्यवान जानकारी प्रदान करेगा। यह मिशन हमारे विश्वविद्यालय के लिए एक नए युग की शुरुआत का प्रतीक है और वैज्ञानिक अनुसंधान के लिए एक और उज्ज्वल भविष्य का प्रतीक है। मुझे इन उपलब्धियों पर अत्यधिक गर्व है, और मैं केएलसैट के द्वारा आने वाले समय मे की जाने वाली खोजों को देखने की बड़ी उम्मीद करता हूँ।"
केएलसैट के लॉन्च ने वायुमंडल मापन प्रौद्योगिकी में एक महत्वपूर्ण कदम की ओर बड़ी बढ़ोतरी का प्रतीक है, जो पृथ्वी के पर्यावरण और वायुमंडल के अमूल्य जानकारी प्रदान करने का वादा करता है। डॉ. के. सरत कुमार, प्रोफेसर और अनुसंधान और विकास के निदेशक, पीआर, केएल डीम्ड टू बी यूनिवर्सिटी, मिशन केएलसैट के निदेशक और ऑपरेशन के मुख्य रूप से कार्य किए, जबकि डॉ. के. चंद्रा श्री काव्या, प्रोफेसर और निदेशक, मुख्य प्रौद्योगिकी अधिकारी की भूमिका निभाई है। इलेक्ट्रॉनिक्स और कम्युनिकेशन और मैकेनिकल इंजीनियरिंग के बी.टेक के 22 छात्रों ने सॉफ़्टवेयर कोडिंग, हार्डवेयर इंटीग्रेशन, असेम्बली, परीक्षण, और अंतिम मॉड्यूल के लिए छः महीने का समर्पण किया है।
इस पूरे प्रोजेक्ट को के.एल डीम्ड टू बी यूनिवर्सिटी के माननीय अध्यक्ष श्री कोनेरु सत्यनारायणा और यूनिवर्सिटी के प्रशासन द्वारा वित्त सहायता और अडिग समर्थन प्राप्त हुआ है । यूनिवर्सिटी के वाईस चांसलर डॉ. जी पारधा सारधी वर्मा, डॉ. ए.वी.एस प्रसाद, डॉ. एन. वेंकटराम ने अन्य महत्वपूर्ण अधिकारियों और विशेषज्ञ सदस्यों को दिल से बधाई दी। जिन्होंने इस मिशन को संभव बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
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