पूर्वजन्म की यादें
मेरे मुस्कराने का तुझेभला क्यों इंतजार है।
तेरे आँखो में क्या
मेरे लिए प्यार है।
तभी तो तुम मुझे
हमेशा खोजते हो।
पर अपने दिलकी बातें
क्यों कह नहीं रहे हो।।
तेरे मुस्कराने का मुझे
सदा एहसास होता है।
तेरे मन की बातों का
मुझे आभास होता है।
इसलिए मेरे दिल में
कुछ कुछ होता है।
और दिलके कोने में
तेरे लिए स्थान जो है।।
नशा आँखो से हो
या हो शराब से।
मिलन दिल से हो
या जुबा से प्यार हो।
मजा दोनों में आता है
चाहे कैसा भी प्यार हो।
इसलिए अब ये दिल
मिलन को बेकरार है।।
तुम्हें याद है की नहीं
कि हमें मिले थे पूर्वजन्म में।
तभी तो दिलकी बातों का
हमें अब एहसास हो रहा।
वो नदियों का बहता पानी
तुम्हें क्या याद आ रहा।
और सागर की उठती लहरें
तुम्हें क्या याद नहीं है।।
जय जिनेंद्र
संजय जैन "बीना"
मुंबई
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