पर्वतराज हिमालय
भारत के उत्तर में देश का यह प्रहरी है ,हिन्दू धर्म वालों की आस्था इसमें गहरी है ।
यह गंगा , यमुना और सरस्वती का उद्गम है ,
यह अलकनंदा , भागीरथी और मंदाकिनी का संगम है ।
हिमालय से बहुत सारी नदियां निकलती हैं ,
देश के मैदानी इलाकों में कल कल कर बहती हैं ।
इसमें गंगोत्री है , इसमें यमुनोत्री है ,
इसमें बद्रीनाथ और केदारनाथ जैसे धाम हैं ।
इसमें हेमकुंड है , इसमें अमरनाथ हैं,
और कैलाश पर्वत है,जहां भोलेनाथ का मुकाम है ।
इसमें एवरेस्ट जैसी उंची उंची चोटियां हैं ,
इसमें अनगिनत सारी जड़ी और बूटियां हैं ।
हिमालय कोई पहाड़ नहीं , यह पर्वत श्रृंखला है ,
अनेक नाम इसके नहीं , हिमालय नाम अकेला है ।
अनेक ऋषि-मुनियों का यह तपोस्थली है ,
और कहते हैं यह स्वर्ग का मुख्य द्वार है ।
जितना भी हिमालय के विषय में लोग जानते हैं ,
बहुत कम है क्योंकि , इसकी महिमा अपार है ।
मानव भले ही चांद पर पहुंच जाएगा ,
परंतु पर्वतराज हिमालय का भेद नहीं जान पाएगा ।
नमन उस पर्वतराज को , माता पार्वती जिसकी बेटी हैं ,
कैलाश शिव पार्वती का घर है ,जिसे पूजना हिन्दूओं
की परिपाटी है । जय प्रकाश कुंअर
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