कंस के कारागार
---: भारतका एक ब्राह्मण.संजय कुमार मिश्र 'अणु'
कंस के कारागार में
बंदी थे वसुदेव और देवकी
जिसके निगरानी में
प्रहरी लगाए रहते थे टकटकी
भादो कृष्ण अष्टमी की रात
जन्मा एक नवजात
देव योग से बना संयोग
टूट गए बंधन खुल गये कपाट
और रास्ते हो गये सपाट
बच्चे को उठाया
प्रेम से गले लगाया
और आकाशवाणी के अनुसार
उस बच्चे को गोकुल पहुंचाया
वहां से लेकर योगमाया
लौटे कारागार फिर वही समय छाया
स्वयं बंद हुआ कपाट पड़ी बेड़ियां
किसीको नहीं ज्ञात बीच की कड़ियां
फिर सुनकर शिशु रुदन
धाये अनुचर राज सदन
कहे प्रभु जन्मा शिशु एक
मैं देने आया वचन
सुनकर समाचार कंस
किया अट्टहास निर्मम विध्वंस
झपटा कारागार लिए तलवार
करने को उद्धत पटका पटकी
देवकी गिड़गिड़ाने लगी
छटपटाने लगे वसुदेव
पर कहां सुना आततायी
झपट बच्चे को करना चाहा धरासायी
वो शिशु उड़कर आकाश
करने लगा गर्जन
अरे पापी जन्म ले चुका है वह
जो करेगा तेरा मान मर्दन
और फिर हो गई अंतर्ध्यान
दे देवकी वसुदेव को वरदान
कि अब जाग गया समय सुप्त
प्रभु आकर करेगें आपको मुक्त
बतलाता है श्रीमद्भागवत पुराण
ऐसे अवतरित हुए श्रीकृष्ण भगवान
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वलिदाद,अरवल (बिहार)८०४४०२.
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