अफवाहें फैलाने का हुनर, कोई इनसे सीखे,
पानी में आग लगाने की अदा, कोई इनसे सीखे।चौरासी के दंगों में थे, जो सिक्खों के कातिल,
गुजरात पर हल्ला मचाना, कोई इनसे सीखे।
कश्मीरी ब्राह्मणों पर भी, जो खामोश रहते हैं,
आसाम दंगों की आँच पर, वो हाथ तपते हैं।
आज़ादी से आज तक, गरीबों को मिटाया,
गरीबी मिटाने का हुनर, कोई इनसे सीखे।
आन्ध्र में आग लगा दी, फकत वोट की खातिर,
पाक से नाक कटा दी, फकत वोट की खातिर।
लूट लिया मुल्क को, रहनुमाओं ने मिलकर,
भ्रष्टाचार करने का हुनर, कोई इनसे सीखे।
निकल पड़े हैं पद यात्रा पर, भारत जोड़ने,
टूटा निज परिवार छोड़ कर, भारत जोड़ने।
कहीं मौलवी का फ़तवा, फादर की बातें,
धर्म नाम पर देश बाँट कर, भारत जोड़ने।
भारत जोड़ने के नाम, अलगाववादियों को जोड़ा,
संविधान बचाने के नाम, भ्रष्टाचारियों को जोड़ा।
हो गये इकट्ठे शेर भेड़िये मेमने, सब एक घाट पर,
क़ानून का कसता शिकंजा, आरोपियों को जोड़ा।
डॉ अ कीर्तिवर्धन
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