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सिमरिया अर्द्धकुंभ

सिमरिया अर्द्धकुंभ

  • निखार से विकास के बीच आस्था का जनसैलाब

राजकिशोर सिंह

आदि कुम्भ स्थली गंगा तट सिमरिया धाम पर आगामी 18 अक्टूबर से कार्तिक कल्पवास मेला सह अर्द्धकुंभ का ध्वजारोहण किया जाएगा. उसी के साथ पवन पावनी मां गंगा में आस्था की डुबकी में श्रद्धालु आनन्द विभोर होकर मन को तृप्त करेंगे. लगभग दो किलोमीटर की परिधि में मेला क्षेत्र में लाखों-लाख संत-महात्मा, ऋषि-मुनि, नागा-मठ महंथ के साथ श्रद्धालुओं का हुजूम सिमरिया के गंगा तट पर 41 दिनों तक भारतीय संस्कृति का आह्वान सौहार्दपूर्ण वातावरण में करेंगे. ढोल, बाजे, नगारे, हाथी, ऊंट, घोड़े, संत वाणी, प्रवचन, रामकथा, श्रीमद्भागवत कथा, गंगा महाआरती, सांस्कृतिक कार्यक्रम, पर्णकुटीर, झूला, दुकान और गंगा स्नानार्थियों से भरा पटा हुआ रहेगा सिमरिया धाम.
इस दौरान, शाही स्नान, पर्व स्नान, परिक्रमा एवं जयंती आदि के विशेष अवसर पर आस्था की भीड़ उमड़ती दिखेगी. इसको लेकर सर्वमंगला आध्यात्म योग विद्यापीठ, सिद्धाश्रम सिमरिया धाम के अधिष्ठाता, करपात्री, अग्निहोत्री स्वामी चिदात्मन जी महाराज द्वारा तिथियों की घोषणा की गयी. 41 दिवसीय कल्पवास मेला सह अर्द्धकुंभ को लेकर स्वामी चिदात्मन जी महाराज ने बताया कि अक्टूबर माह में 6 विशेष व प्रमुख तिथियां है तथा नवम्बर माह में 9 विशेष तिथियां है. जिसमें ध्वजारोहण से लेकर ध्वज विसर्जन तक शामिल है.
अक्टूबर माह में 19 अक्टूबर को कुंभ एवं 40 दिवसीय कल्पवास मेला की शुरुआत ध्वजारोहण के साथ किया जाएगा. जबकि 23 अक्टूबर को लघु परिक्रमा, 25 अक्टूबर को प्रथम स्नान एवं प्रथम पर्व, 28 अक्टूबर को बाल्मिकी जयंती एवं रात्रि चन्द्र ग्रहण, 29 अक्टूबर को उग्र ग्रह स्नान और 31 अक्टूबर को प्रथम परिक्रमा आयोजित की गयी है. जबकि नवम्बर माह में 8 नवम्बर को द्वितीय परिक्रमा, 9 नवम्बर को द्वितीय पर्व स्नान, 11 नवम्बर को हनुमत जन्मोत्सव, 14 नवम्बर को महाकवि कालिदास जयंती, 16 नवम्बर को तृतीय परिक्रमा, 23 नवम्बर को देवोत्थान एकादशी, तृतीय स्नान एवं दिनकर जयंती, 25 नवम्बर को विद्यापति स्मृति दिवस, 26 नवम्बर को सर्व देवी- देवता स्मृति दिवस एवं 27 नवम्बर को ध्वज विसर्जन की तिथि घोषित की गयी है. उन्होंने कहा कि इसमें तीन परिक्रमा में 31 अक्टूबर को प्रथम परिक्रमा, 8 नवम्बर को द्वितीय परिक्रमा तथा 16 नवम्बर को तृतीय परिक्रमा है. जिसमें भारत वर्ष ही नहीं अपितु विश्वभर के श्रद्धालुओं का पदार्पण होता है.
सभी श्रद्धालु आस्था की बहती गंगा में गोता लगाकर निर्भीकता पूर्वक उत्सव मनाते हुए कल-कल करती गंगा की अविरल धारा में डुबकी लगाते हैं. ऐसी मान्यता है कि शास्त्र, धर्म, ग्रंथों आदि काव्य व पुराणों में की यहां से कोई ख़ाली हाथ नहीं जाता है. यहां सबकी मन्नतें पूरी होती है. खासकर यहां मुंडन संस्कार के लिए अपार भीड़ उमड़ पड़ती है.
सर्वमंगला आश्रम सिमरिया घाट से पिछले साल परिक्रमा से लौटने के बाद ज्ञानमंच से प्रवचन करते हुए स्वामी चिदात्मन जी महाराज ने कहा था कि वर्तमान में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के सौजन्य से सिमरिया धाम में महाकुंभ एवं अर्धकुंभ का पुनर्जागरण हुआ है. उनके करकमलों से वर्ष 2017 में यहां महाकुंभ का उद्घाटन हुआ था. उनके निर्देशानुसार सिमरिया धाम में सर्वांगीण विकास किया जा रहा है. पिछले साल नौ नवंबर को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का सिमरिया धाम में आगमन हुआ था. हालांकि उन्होंने 2006 में ही सिमरिया धाम में माहवारी 'कल्पवास' को राजकीय मेला का दर्जा दिया था. उसके बाद विकास के लिए सिमरिया धाम के श्रद्धालु, पर्यटक और भक्त जन पलकें बिछाए बैठे रहे. देर से ही सही लेकिन डेढ़ दशक के बाद बिहार सरकार और केन्द्र सरकार की नजरें इनायत हुई तो विकास की धारा बह रही है. इसे आकार लेने में अभी और वक्त लगेगा, लेकिन कार्य तेजी से चल रहा है. जल संसाधन विभाग की ओर से कार्य कराया जा रहा है. बेगूसराय के जिलाधिकारी और जल संसाधन मंत्री संजय कुमार झा कार्य प्रगति की अधतन जानकारी लेते रहते हैं.
बहरहाल, सिमरिया धाम में कल्पवास, महाकुंभ और अर्द्धकुंभ के पुनर्जागरण के बाद विकास की धारा बहनी शुरू हुई तो एक नहीं दो-दो उपलब्धि भक्तों को मिलने वाली है. आदि कुम्भ स्थली सिमरियाधाम के पीठाधीश्वर स्वामी चिदात्मन जी महाराज ने बताया कि जिस तरह हरिद्वार में हड़की पौड़ी, अयोध्या में राम की पौड़ी, भारतीयता में चार चांद लगाने वाली है. उसी तरह बिहार में सिमरियाधाम पर 'मां जानकी पौड़ी' को स्थापित किया जाएगा, जो इतिहास बनने के कगार पर है. राजेन्द्र पुल के एक तरफ बिहार सरकार के जल संसाधन विभाग द्वारा तो दूसरी ओर बेगूसराय के स्थानीय भाजपा सांसद गिरिराज सिंह के पहल पर नमामि गंगा प्रोजेक्ट के तहत 63 करोड़ की लागत से निर्माण कार्य किया जा रहा है.
वेद पुराणों और ऐतिहासिक तथ्यों के आधार पर स्पष्ट है कि आदि कुंभ स्थली सिमरियाधाम वो तट है जो समुद्र मंथन से निकली अमृत वितरण की स्थली ही नहीं शरीर व शास्त्र मंथन की भी स्थली रही है. इसीलिए विश्व में एक मात्र विदेह नगरी मिथिलांचल की यह दक्षिणी सीमा है. स्वामी चिदात्मन जी महाराज की मानें तो शास्त्रों के अनुसार मिथिला का दक्षिणी सीमा होने के कारण राजा विदेह के समय से ही यह स्थल सिमरिया के नाम से प्रसिद्ध है. जो मिथिला, मगध और अंग प्रदेश का सीमा क्षेत्र होने के कारण त्रिवेणी बनता है. गंगा गंगा के संगम की वजह से प्रयाग बनता है. आदि काल से कार्तिक मास में कल्पवास मेला की परंपरा चली आ रही है. लेकिन इतिहास के झरोखों में झांककर देखें तो भारतीय गणराज्य में बरसों तक विदेशी आक्रमणकारी के कारण पराधीन भारत में बहुत कुछ सभ्यता, संस्कृति और धार्मिक अनुष्ठानों का लोप हो गया था, उसे साधु संतों के अथक प्रयास से पुनर्जागृत किया गया है, उसी कड़ी में सिमरियाधाम भी एक है.
शास्त्रों के अनुसार कहा जाता है कि जब एक राशि पर सूर्य - चन्द्र - वृहस्पति का योग होता है तब महाकुम्भ योग बनता है. राशियां बारह हैं इसलिए बारहों राशि पर जब ऐसा योग बनता है तो कुम्भयोग बनता है. उसी राशि पर प्रत्येक बारह वर्षों के बाद ऐसा योग आता है. राष्ट्रीय एकता अखण्डता के लिए इस द्वादश जगहों पर ऋषियों ने सजाया है. यथा- मेष राशि में हरिद्वार, धनु राशि में गंगासागर, कालान्तर में उज्जैन में भी मेष ही राजसी कुम्भ को वरण किया. मिथुन राशि में- जगन्नाथपुरी, कर्क राशि में- द्वारिका, सिंह राशि में- नासिक, कन्या राशि में- रामेश्वरम्, तुला राशि में- सिमरियाधाम, वृश्चिक राशि में- कुरूक्षेत्र, धनु राशि में- गंगासागर, मकर राशि में- प्रयाग, कुम्भ राशि में- कुम्भकोणम और मीन राशि में कामाख्या में अर्द्धकुंभ और महाकुम्भ का योग बनता है. इसी तरह इसका आयोजन किया जाता रहा है.
ध्यान रहे कि बेगूसराय जिले के बछवारा स्थित है ऐतिहासिक रुद्रपुर (रुदौली) गांव, जहां भारत के प्रसिद्ध संत और आध्यात्मिक धरोहरों को सजाने संवारने के लिए समर्पित परमहंस स्वामी चिदात्मन जी महाराज का जन्म हुआ था. संसार के भौतिक सुखों का त्याग कर चिदात्मन जी महाराज ने सिमरिया घाट पर अपना आश्रम बनाया और चौसठ योगिनी मंदिर की स्थापना कर राष्ट्रीय स्तर पर सिमरिया को स्थापित किया. आज अपने अध्यात्मिक मित्र मंडली जिसमें बिहार पुलिस के रिटायर्ड डीएसपी विजय कुमार यादव, आईटीएन अभिषेक कुमार, आध्यात्मिक पत्रिका दिव्य रश्मि के संपादक व प्रकाशक आर डी मिश्रा, समकालीन तापमान के वरिष्ठ पत्रकार और रोटेरियन राज किशोर सिंह के साथ इस गांव में जाकर परम पूज्य संत और गुरुदेव स्वामी चिदात्मन जी महाराज का दर्शन हुआ. गुरुदेव ने अपने सानिध्य में मित्र मंडली को भगवती का दर्शन कराया. गुरुदेव जिस जगह ठहरे उसी के ऊपर मां विंध्यवासिनी की प्राचीन कालीन प्रतिमा है. कहते हैं कि मां विंध्यवासिनी कष्ट निवारिणी हैं और इसके दरबार में जो आता है वह कभी खाली हाथ नहीं जाता. परम पूज्य गुरुदेव ने यहां विश्व विख्यात और संपूर्ण भारतवर्ष में एकमात्र सप्त ऋषि मंदिर की स्थापना का संकल्प ले रखा है. इस संकल्प को साकार करने के लिए गुरुदेव स्वामी चिदात्मन जी महाराज उर्फ सेमरिया बाबा अपने घर रुदौली को छोड़कर आश्रम में आसन जमाए हुए हैं.
उत्तर बिहार में खासकर मिथिला वासियों की लोक आस्था के प्रमुख केन्द्र सिमरियाधाम (बेगूसराय) में उत्तरवाहिनी गंगा नदी के तट पर श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए रीवर फ्रंट का विकास किया जा रहा है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता में हुई राज्य मंत्रिमंडल की बैठक में सिमरिया धाम के विकास के लिए जल संसाधन विभाग द्वारा तैयार योजना को मंजूरी इसी साल मार्च में मिली थी. इसमें नदी तट पर पक्के सीढ़ी घाट के निर्माण, कल्पवास मेला क्षेत्र में श्रद्धालुओं के लिए विभिन्न सुविधाओं के विकास एवं सौंदर्यीकरण की योजना शामिल है. इसके पहले मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने नवंबर 2022 में सिमरिया धाम में लगे कल्पवास मेले में भ्रमण कर साधु-संतों का फीडबैक लिया था और क्षेत्र के विकास के लिए जल संसाधन विभाग द्वारा तैयार कॉन्सेप्ट की समीक्षा कर विस्तृत योजना बनाने के निर्देश दिये थे. सिमरिया धाम के विकास की योजना को कैबिनेट से मंजूरी मिलने पर मुख्यमंत्री के प्रति आभार प्रकट करते हुए जल संसाधन मंत्री संजय कुमार झा ने कहा कि यह मिथिलावासियों के लिए एक बड़ा तोहफा है. वर्ष 2008 में सिमरिया कल्पवास मेले को राजकीय मेला का दर्जा दिया गया. उसके बाद से सिमरिया में वर्ष 2011 में अर्ध कुंभ और 2017 में महाकुंभ का आयोजन हो चुका है. इसके अलावा यहां स्नान, मुंडन और धार्मिक अनुष्ठान के लिए काफी श्रद्धालु सालोभर आते रहते हैं, लेकिन बुनियादी सुविधाओं की कमी के कारण उन्हें परेशानियों का सामना करना पड़ता है. यह स्थल राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर की जन्मस्थली के रूप में भी विख्यात है, लेकिन जरूरी सुविधाओं के अभाव के कारण यहां पर्यटन का विकास नहीं हो पाया है. मंत्री संजय कुमार झा ने कहा कि गंगा नदी के बायें तट का आवश्यकतानुसार उच्चीकरण करते हुए नदी भाग में लगभग 550 मीटर लंबाई में सीढ़ी घाट के निर्माण के साथ-साथ संपूर्ण कल्पवास क्षेत्र में सुविधाओं के विकास एवं सौंदर्यीकरण की योजना तैयार की है. योजना की प्राक्कलित लागत राशि 114.97 करोड़ रुपये है. इसमें रीवर फ्रंट का विकास, गंगा आरती हेतु विनिर्दिष्ट स्थल का निर्माण, स्नान घाट एवं चेंजिंग रूम का निर्माण, स्नान घाट के समानांतर सुरक्षा व्यवस्था, धार्मिक अनुष्ठान के लिए मंडप का निर्माण, शेडेड कैनोपी, वाच टावर, श्रद्धालुओं के बैठने की व्यवस्था एवं लैंडस्केपिंग, शौचालय परिसर, धर्मशाला परिसर, पाथ-वे एवं प्रकाशीय व्यवस्था का निर्माण शामिल है. उन्होंने कहा कि पिछले साल जब कल्पवास क्षेत्र में गंगा का पानी घुस गया था तो सिमरियाधाम का जल संसाधन विभाग के अधिकारियों के साथ स्थल निरीक्षण किया था और श्रद्धालुओं की तकलीफों को करीब से देखा था. अब सिमरिया धाम का विकास होने पर यहां न केवल श्रद्धालुओं को सुविधा होगी, बल्कि यह धार्मिक पर्यटन का एक प्रमुख केंद्र बनकर उभरेगा. हरिद्वार की तर्ज पर सिमरिया धाम में भी दूर-दूर से लोग आएंगे और यहां धर्मशाला में ठहरेंगे.
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