जो इतिहास पढ़ाया हमको, वही धारणा मन बैठी,
अकबर महान बताया सबको, वही धारणा मन बैठी।ताउम्र जिन्होंने भारत माँ के, सीने पर सदा वार किया,
आज़ादी के दीवाने बतलाया, वही धारणा मन बैठी।
भगत सिंह सुभाष सावरकर, जाने कितनों ने पीड़ा झेली,
देश के ग़द्दारों ने बस, अपनी अपनों की जय जय बोली।
सच की बातें बिसराकर, झूठा नया इतिहास बना डाला,
कालखंड के बाद सत्य ने, जन जन की आँखें खोली।
कौन जवाहर क्या थे गाँधी, क्यों जिन्ना आगे आये थे,
नाम बदलकर धर्म बदलकर, निज स्वार्थ को धाये थे।
अंगेज़ों के पिट्ठू बनकर, सरकारी सुविधाओं पर पलकर,
भारत के दो टुकड़े कर, गाँधी राष्ट्रपिता कहलाये थे।
अ कीर्ति वर्द्धन
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