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अमृत रस बरसेगा

 

अमृत रस बरसेगा

आज पूर्णिमा रात शरद की
अमृत रस बरसेगा


नभ में सुन्दर से सुन्दर होगा
आकर्षक चंदा
धवल दूधिया लख चकोर हो
जाएगा हर बंदा
जिसने नहीं निहारा यह छबि
मन ही मन तरसेगा
आज पूर्णिमा रात शरद की
अमृत रस बरसेगा


खीर दूध की छत पर रखकर
अमृत की अभिलाषा
चम्मच भर चखकर चंगा हो
जाएगा मन प्यासा
तृप्त भाव से सबके मन का
कोना-कोना हरषेगा
आज पूर्णिमा रात शरद की
अमृत रस बरसेगा


छत पर धवल चांदनी आकर
सोलह कला दिखाएगी
पल में रोग-शोक सबके हर
सुबह विदा हो जाएगी
राधा संग रसिया का नर्तन
आंगन-आंगन दरसेगा
आज पूर्णिमा रात शरद की
अमृत रस बरसेगा
*
~जयराम जय
'पर्णिका' बी-11/1,कृष्ण विहार,आवास विकास,कल्यणपुर,कानपुर-208017(उ.प्र.)
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