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बचपन तो बित गया ,

बचपन तो बित गया ,

अब वक्त है तुम्हे जिम्मेदारियां उठाने का।।
बचपन तो बित गया ,
तब तो कोई होश न था ,
तब केवल खेलना खाना ,
और पढ़ना ही काम था ।
बहाना था कि हम अभी बच्चे हैं ,
बड़े होकर सब संभाल लेंगे ,
लेकिन यह कहते सुनते ,
तुम्हारा बचपन चला गया ।
अब हम बुढ़े हो गये ,
और तुम पर अब जवानी है ,
घर की जिम्मेदारियां ,
अब तुमको ही निभानी है ।
अब भी अगर जिम्मेदारियों से ,
इस तरह कतराओगे ,
समय निकाल जाएगा ,
और फिर सम्भल न पाओगे ।
जिम्मेदारियां निभाने में ,
थोड़ी मिहनत होगी और ,
थोड़ा कष्ट भी हो सकता है ,
पर इन सबसे तुम्हे नहीं घबराने का ,
अब वक्त है तुम्हे जिम्मेदारियां उठाने का ।। 
 जय प्रकाश कुंअर
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