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"तुम्हारे नाम का श्रृंगार कर"

तुम्हारे नाम का श्रृंगार कर

तुम्हारे और इस चांद के दीदार से,
मेरा यह जीवन आज धन्य हुआ,
मेरा जीवन मधुर हुआ तेरे प्रेम से,
तुझ को समर्पित यह श्रृंगार हुआ।


‌ तुम्हारे नाम का श्रृंगार कर,
मेरा यूं सज - संवर जाना,
तुम्हारा ख्वाब में हमें छूना,
मेरा सच में ये निखर जाना।


तुम्हारी यादों की महक से,
हम तन - मन को सजाते हैं,
तुम्हारी सब तस्वीरों को हम,
अपने इस दिल में बसाते हैं।


तुम्हारे इस प्यार का एहसास,
मेरे जीवन में रंग भर देता है,
तुम्हारे साथ बीता वो हर पल,
हमें बेहिसाब चैन-सुकूं देता है।


स्वरचित एवं मौलिक पंकज शर्मा (कमल सनातनी)
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