विजयादशमी
ऐसी मान्यता है कि त्रेता युग में आज ही के दिन , यानि आश्विन शुक्ल पक्ष दशमी को भगवान राम ने रावण का वध किया था । अतः दशहरा या विजयादशमी राक्षसों के राजा दश सिर वाले रावण पर भगवान श्री राम के विजय का प्रतीक है । वहीं एक अन्य कथा के अनुसार मां दुर्गा ने भी महिषासुर का अंत भी नौ दिनों तक उसके साथ लड़ाई करने के उपरांत दशवें दिन यानि विजयादशमी के दिन ही किया था । इन दोनों में महिषासुर दानव था परंतु रावण अर्ध राक्षस था। वैसे तो दोनों ही कामी और अभिमानी थे परन्तु रावण वेदों का ज्ञाता भी था । रावण का अंत उसके क्रोध और अहंकार के चलते हुआ । इसलिए विजयादशमी को बुराई पर अच्छाई की जीत के रूप में देखा जाता है । और इस दिन रावण के पुतले का दहन कर दशहरे का त्योहार मनाया जाता है ।
त्रेता युग में लंका में राक्षसों का राजा रावण राज करता था । ब्रह्मा और भगवान शिव से आशीर्वाद और वरदान प्राप्त करके उसके अंदर अपार शक्ति और अहंकार हो गया था । उसने अनेकों देवताओं आदि को जीत कर बंदी बना रखा था और ऋषि मुनियों पर अत्याचार कर उन्हें अपने अनुयाई राक्षसों के हाथों मरवा देता था । उस युग में उसका अत्याचार इतना बढ़ गया कि स्वयं विष्णु को भगवान राम के रूप में उसका अंत करने के लिए पृथ्वी पर अवतार लेना पड़ा ।
श्री रामचरितमानस में लंका काण्ड में राम रावण युद्ध के समय एक प्रकरण आया है , जिसमें संत तुलसीदास जी ने लिखा है कि रावण ने अपनी राक्षसी माया से एक रावण के जगह अनेकों रावण पैदा कर दिया था और युद्ध कर रहा था , जिसे देख भगवान राम की सेना के बंदर और भालू सेनानी घबरा कर भागने और पहाड़ों की कन्दराओं में छुपने लगे थे । उनका मानना था कि एक रावण ने ही तो सभी देवताओं को जीत लिया है और अब तो अनेकों रावण युद्ध भूमि में विराजमान हैं और युद्ध कर रहे हैं । हालांकि अंत में भगवान राम के हाथों राक्षसी माया का अंत हुआ और अभिमानी रावण का भी अंत शीघ्र ही हुआ ।
" सब सुर जीते एक दशकंधर ।
अब बहु भये तकहू गिरि कंदर ।। "
यह देखा जा रहा है वर्तमान युग में भी राम रावण युद्ध के समय जैसा एक रावण के जगह ,समाज में छद्म रावणों की संख्या दिन-प्रतिदिन बढ़ती ही जा रही है और हम लोग विजयादशमी के दिन देश भर में मात्र कुछ रावण के पुतले जलाकर विजय का प्रतीक मना रहे हैं । जबकि सच्चाई यह है कि आज समाज के उन सभी अभिमानी और अहंकारी रावणों को जलाने की जरूरत है ,जो समाज और देश को खोखला करने और तोड़ने पर तुले हुए हैं । वर्तमान संदर्भ में रावण दहन और विजयादशमी तभी सार्थक होगा जब कोई राम एक बार फिर अवतार लेकर इन विनाशकारी शक्तियों रूपी रावणों का अंत करें और देश की आम जनता अमन चैन से रह कर अपना और देश का विकास हो सके ।
आप सभी मित्रों और समस्त देशवासियों को , बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक और असत्य पर सत्य की जीत का त्योहार विजयादशमी , की हार्दिक शुभकामनाएं और बधाइयां 🙏🙏🙏
जय प्रकाश कुंअर
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