चाँदनी उतर आई
आँगन में , आओ तो।।व्योम की चटाई पर
सूखते बतासे।
ताल के कछार बंद
हो गये तमाशे। ।
कलरव हो गये मौन
तुम ही कुछ गाओ तो।।
शब्द -हीन पाती थी
प्रीति में भिंगोयी।
पावन संस्मृतियों की
धार में डुबोयी।।
जाने क्या लिखा , जरा
आकर बताओ तो।।
आहट के साथ बाँध
सीटियाँ बजाना।
ढूँढ़ना नहीं कोई फिर
नया बहाना।।
मानर बज उठे नृत्य-
गीत फिर सुनाओ तो।।
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रामकृष्ण
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