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"अर्पण"

"अर्पण"

हमने अर्पण किया है जान तन आप पर,
आ गया है अब हमारा यह मन आप पर।


मर - मिटे हैं हम तो नतीजों को सोचे बिना,
ध्यान सारा है अब हमारा सजन आप पर।


आप पर ही हमने सब कुछ न्यौछावर किया,
आपके बिना हमारा जीवन अधूरा है पिया।


आप ही हमारी शान और हैं हमारी पहचान,
केवल आप ही हैं हमारे इस जीवन के सार।


आपके बिना हमारी है यहां कोई जगह नहीं,
आपके बिना हमारा दिल नहीं लगता कही।


यह तन-मन आपके लिए समर्पित रहे सदा,
आपकी मौजूदगी से गुलज़ार रहे मेरा जहां।


स्वरचित एवं मौलिक पंकज शर्मा (कमल सनातनी)
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