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"विजयदशमी: सत्य की विजय का पर्व"

विजयदशमी: सत्य की विजय का पर्व

दशहरा का पर्व है, सत्य की विजय का,
रावण के दहन से, मिटता है अंधकार।


सत्य परेशान हो सकता, होता नहीं परास्त,
हमको देता संदेश है, दशहरे का त्यौहार।


सत्य की राह पर, है चलना मुश्किल मीत,
परंतु घबराना नहीं, सत्य से सदा करें प्रीत।


सत्य की राह पर, लाख हों होंगे शूल,
परंतु डगमगाना नहीं, शूल बनेंगे फूल।


क्रोध,कपट,कटुता,कलह,चुगली,अत्याचार,
लंका रूपी परिवार के, यह सब थे विकार।


प्रभु राम हैं सनातन सत्य, हैं वो चिरंतन चेतना,
रावण है वैर - विकार, और दुष्कृत्य का पर्याय।


आज के दौर में रावण, का बदल गया है रूप।
आत्ममुग्धता और स्वार्थ इसका नवीन स्वरूप।


आज का रावण, चहुं ओर व्याप्त "भ्रष्टाचार",
सब मिलकर दशहरे पर, इसका करें संहार।


विजयदशमी पर दहन, महज़ दिखावा है।
दशानन को तो, अपने मन से जलाना है।


पुतलों के दहन से, 'कमल' क्या होगा लाभ ?
मन का रावण जलाओ सब, तब होगा विकास।


मनसा, वाचा, कर्मणा, सत्य से रहे भरपूर,
नेक - नीति हो साथ में, बाधाएँ सब हों दूर।

🙏💐🏹विजयदशमी के इस पावन पर्व पर हम सभी में विद्यमान रावण सदृश मनोविकारों का नाश हो एवं मर्यादा पुरुषोत्तम प्रभु श्रीराम का हम सभी के हृदय में सदा-सर्वदा वास हो। इस मंगलकामना के साथ आप सभी को दशहरा की सपरिवार अनंत हार्दिक शुभकामनाएं🏹💐🙏
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