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अरे यार तुम रोज कैलेंडर क्यों बदलते हो ,

अरे यार तुम रोज कैलेंडर क्यों बदलते हो ,

यह तो रोज एक नयी घटना और तारीख लेकर आता है ।
तेरे इस बदला बदली के क्रम में ,
हर आज, कल हो जाता है और हर कल इतिहास बन जाता है ।।
एक दिन तुम बच्चे थे , कल फिर जवान बने ,
आज बुढ़े हो , कल फिर न जाने कहां चले जाओगे ।
मिलना बिछड़ना ये सारी वक्त की बातें हैं ,
तुम किसे किसे ढूंढ़ोगे , और किसे किसे पाओगे ।।
तुम अब जबर्दस्ती जवान मत बनो ,
पर मन को कभी बुढ़ा मत होने दो ।
उम्र से नहीं , अपने व्यवहार से दूनियां में बड़ा बनो ,
दिखावे के लिए बड़ा बनने को ,
अपने व्यवहार को अपमानित मत होने दो ।।
बन सको तो देश के लिए पृथ्वीराज चौहान, बनो ,
जयचंदी नस्ली इंसान कभी भी मत बनो ।
बन सको तो भगतसिंह और सुभाष बनो ,
पर मीरजाफर जैसा गद्दार कभी मत बनो ।।
मत भूलो कि कल का बादशाह ,
कल भिखारी भी हो सकता है ।
पर अपने कर्म से तेरा नाम कल फिर से ,
इस दूनियां में एक नई पहचान भी बन सकता है ।। जय प्रकाश कुंअर
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