राम यहीं हैं खुद के भीतर, देखो खुद पहचान कर,
रावण भी तो रहते संग संग, पहचानो पहचान कर।क्यों करते हो प्रतीक्षा तुम, देवलोक से कोई आये,
पहले खत्म करो निज भीतर, रावण को पहचान कर।
कोई करता पाप कर्म, रावण ही तो कहलाता,
बेईमान और भ्रष्टाचारी, मेघनाथ सम बन जाता।
बलात्कर करने वालों का, जो हमदर्द बना बैठा,
मारीच सुबाहु कुम्भकरण, वो बनकर इठलाता।
अ कीर्ति वर्द्धन
हमारे खबरों को शेयर करना न भूलें| हमारे यूटूब चैनल से अवश्य जुड़ें https://www.youtube.com/divyarashminews https://www.facebook.com/divyarashmimag
0 टिप्पणियाँ
दिव्य रश्मि की खबरों को प्राप्त करने के लिए हमारे खबरों को लाइक ओर पोर्टल को सब्सक्राइब करना ना भूले| दिव्य रश्मि समाचार यूट्यूब पर हमारे चैनल Divya Rashmi News को लाईक करें |
खबरों के लिए एवं जुड़ने के लिए सम्पर्क करें contact@divyarashmi.com