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संवाद

संवाद

इस क्षणभंगुर दूनियां में , जिन्दगी का क्या ठिकाना है ।
कब तक दूनियां में किसे रहना है ,कब सब छोड़ चले जाना है ।।
स्मार्टफोन आज प्रायः सबके ही हाथ में है ।
फेसबुक, वाट्सएप इन्स्टाग्राम और ट्विटर का साथ भी है ।।
अपने सभी दोस्तों , परिजनों से संबाद होता रहना है ।
सब से रेस्पॉन्स मिलता रहे , फिर क्या कुछ कहना है ।।
गुड मॉर्निंग ,गुड इवनिंग और गुड नाईट सिर्फ एक रिवाज नहीं ,
यह तो रोज अपनेपन के रिश्ते को याद दिलाना है ।
और रोज सुबह शाम सबका ,हाल जान जाना है ।।
कविता , कहानी और फोटो सब अपने दिल और समाज की बातें हैं।
आपका लाइक और कमेंट आप के प्रेम के साथ ,
आप की उपस्थिति और अपनापन बताते हैं ।।
कभी किसी का रेस्पॉन्स न मिले तो , मन मलिन होता है ।
हजारों ख्याल आते हैं और , दिल आपा खोता है ।।
आज दूर दूर बैठे हैं , पर कभी साथ भी रहे हैं ।
इनमें बहुतों संग पढ़ें हैं , लिखे हैं, खेले हैं ,और नौकरी किये हैं ।।
अब ये सारे पुराने साथी नये साथियों संग पुनः इस , सोशल प्लेटफार्म पर मिले हैं ।
जीवन में एक बार फिर मिलकर , सबके चेहरे खिले हैं ।।
बहुत सारे साथी अपने , संसार छोड़, परलोक को चले गए हैं ।
दिल बहुत चाहता है उन साथियों को ,जो साथ रह गये हैं ।।
बस यही गुजारिश है दोस्तों , संबाद करते रहना ।
दूनियां ऐसे ही चलती रहती है , इस दूनियां का है क्या कहना ।।
एक आपका प्रेम ही , बस याद रह जाएगा ।
लेकर कुछ जाना नहीं , जाते वख्त सब यहीं रह जाएगा ।। जय प्रकाश कुंअर
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