कभी गुमनाम नहीं होती...
सत्ता से नेता की पहचान नहीं होती,इतिहास से गद्दारों की शान नहीं होती।
बनना है तो बनो "पटेल" से लौह पुरुष,
"जवाहर" बनने से आन बान नहीं होती।
इतिहास बदलकर कर्णधार लिखने से,
अय्यासों की देश भक्त पहचान नहीं होती।
वंशवाद की बेल चाहे सघन घनी हो,
नाकाराओं को ताज, मुल्क की शान नहीं होती।
इतिहास गवाह है, काल साक्षी भारत में,
जयचंदों की निज घर में भी मान नहीं होती।
लड़ता रहा देश की खातिर अंत समय तक,
राणाओं सी आन, बान और शान नहीं होती।
लुटा दिया सर्वस्व देश हित, जिसने रण क्षेत्र में,
रणबान्कुरी लक्ष्मी बाई कभी गुमनाम नहीं होती।
डॉ अ कीर्तिवर्धन
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