झूठ की औकात क्या, जानता हूँ,
बोलबाला उसका यहाँ, मानता हूँ।छुप रहा क्यों झूठ, सच के सामने?
बस इसी बात से, मैं रार ठानता हूँ।
है यही औकात झूठ की, जान लो,
रात का नीरव अन्धेरा, दीप थाम लो।
शान्त सरोवर मे, एक पत्थर फैंकिये,
हलचलें होंगी शान्त जल में, मान लो।
पल भर में झूठ, बेनक़ाब हो जायेगा,
इतिहास को कुरेदो, सच सामने आयेगा।
किसने मारा गाँधी को, किसकी सियासत,
अब तक पढ़ा इतिहास, झूठा हो जायेगा।
अ कीर्ति वर्धन
हमारे खबरों को शेयर करना न भूलें| हमारे यूटूब चैनल से अवश्य जुड़ें https://www.youtube.com/divyarashminews https://www.facebook.com/divyarashmimag
0 टिप्पणियाँ
दिव्य रश्मि की खबरों को प्राप्त करने के लिए हमारे खबरों को लाइक ओर पोर्टल को सब्सक्राइब करना ना भूले| दिव्य रश्मि समाचार यूट्यूब पर हमारे चैनल Divya Rashmi News को लाईक करें |
खबरों के लिए एवं जुड़ने के लिए सम्पर्क करें contact@divyarashmi.com