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माता की बिदाई

माता की बिदाई

आज हुई माता की बिदाई ,
करके पूजा आरती हवन ।
कल रामलीला रावण वध ,
फिर जोर बहेंगे ये पवन ।।
नवरात्र बाद दशहरा होता ,
फिर होता दुर्गापूजा अंत ।
पाॅंच दिन बीतते जैसे तैसे ,
फिर प्रारंभ ये ऋतु हेमंत ।।
नवरात्रि के इन नौ रात में ,
माॅं आदिशक्ति के नौ रूप ।
नित्य नौ देवी की उत्पत्ति ,
अलग जिनके हैं स्वरूप ।।
शैलपुत्री और ब्रह्मचारिणी ,
चंद्रघंटा कूष्मांडा स्कंदमाता ।
ये‌ देवियाॅं नित्य क्रम आतीं
तिथि जिस क्रम में आता ।।
कात्यायनी और कालरात्रि ,
महागौरी और सिद्धिदात्री ।
हर नाम स्वरूप होते अलग ,
किंतु सब हैं एक ही मातृ ।।
बीतते दशहरा हेमंत आता ,
वह भी लाता है पर्व त्यौहार ।
त्यौहार खिलाता पिलाता ,
पर्व बंद कर देता है आहार ।।
धनतेरस और ये दीपावली ,
भैया द्विज पावन हैं त्यौहार ।
पर्वों में छठपूजा है महापर्व ,
बंद होता जिसमें है आहार ।।
अनेक हमारे होते पर्वोत्सव ,
जिनमें होते सबके ही बहार ।
सृष्टि में तूने जन्म हमें दिया ,
जीवन संतुलन हेतु आभार ।।
पूर्णतः मौलिक एवं
अप्रकाशित रचना
अरुण दिव्यांश
डुमरी अड्डा
छपरा ( सारण )बिहार ।
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