राम कृष्ण से सुंदर कौन ,
बैठे हो तुम हो कर मौन ।इनको भजलो पाप हरेंगे ,
तेरे सब संताप हरेंगे ।
प्रेम मंत्र हैं एक सिखलाते ,
एक मर्यादा पुरुषोत्तम कहलाते ।
इनके शरणागत हो जाओ ,
मन बांछित फल इनसे पाओ ।
पाप की गठरी भारी हो गयी ,
जीवन की सब ज्योति खो गयी ।
अब तो चेतो ऐ मूरख मन ,
काम न आएगा सुंदर तन ।
मिट्टी में यह मिल जाएगा ,
काम नहीं कुछ भी आएगा ।
कर्म किए जा, भजन किए जा ,
राम कृष्ण का नाम लिए जा ।
इनको छोड़ न आशा कोई ,
ये जो चाहेंगे सो ही होई ।
इनको भजते हैं सुर संता ,
ये हैं प्रणतपाल भगवंता ।
जय प्रकाश कुंअर
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