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महत्त्व

महत्त्व

पापा,एक चश्मा के लिए आप इतना क्यों हड़बड़ा रहें हैं,ऐसा क्या पढ़ना है अब आपको।दो-चार दिन रुक जाइये तो फिर मैं बनवा देता हूँ।" चाय पीते हुए नरेश अपने पिता से बोले तो उनके पिता धीरे-से बोले ," कोई ज़रूरी तो नहीं है बस ज़रा...पर कोई बात नहीं। कहकर रामदयाल बाबू सैर के लिये निकल गये। टहलने के बाद वे एक बेंच पर बैठ गये जहाँ उनके हमउम्र के लोग अखबार पढ़ रहें थें।उन्होंने एक से कहा," आज दसवीं बोर्ड- परीक्षा का रिजल्ट निकला है,ज़रा एक रोल नंबर देखकर बताइये कि.." कहते हुए वे अपनी जेब से नंबर लिखी एक पर्ची निकालने लगें।उनमें से एक सज्जन पूछने, " किसका है? उत्साहित होकर बोले, " मेरी पोती का है।आज घर में अखबार दिया नहीं और जल्दी में निकला तो चश्मा गिरकर टूट गया। " लाईये..., मैं देख देता हूँ।" कहते हुए एक ने उनके हाथ से पर्ची ले ली। धूप तेज हो रही थी।अपने पिता को पार्क को बैठे देख नरेश को बहुत गुस्सा आया।पिता को बुलाने के लिये वह उनके पास जाने लगा तो उसे सुनाई दिया, " आपको बधाई रामदयाल बाबू।आपकी पोती ने तो पूरे स्कूल में दूसरा स्थान प्राप्त किया है।हमें मिठाई नहीं खिलायेंगे क्या? " हाँ-हाँ,क्यों नहीं.., वो तो आज चश्मा न टूटा होता तो आपको कष्ट नहीं देता।आपने पढ़कर सुना दिया,यही बहुत है। उन लोगों से बातें करके वे पार्क के दूसरे गेट से बाहर निकल गये। नरेश सोचने लगा, मैं भूल गया लेकिन पापा को याद रहा कि आज अनीशा का रिजल्ट निकलने वाला है।जैसे उन्हें मेरे स्कूल का टाइमटेबल रटा हुआ था,वैसे ही पोती अनीशा का भी...। वे हमेशा मुझसे कहते थें कि काम हमेशा समय पर होना चाहिए तभी उस काम का महत्त्व है।आज ही तो उन्हें चश्मे की अधिक आवश्यकता थी और मैंने लापरवाही कर दी। शाम को घर आकर नरेश ने सबसे पहले अपने पिता को उनका चश्मा दिया और फिर बोला, " पापा,कल अपने सभी मित्रों को चाय पर घर बुला लीजिये।आपकी पोती ने 98 प्रतिशत अंक लाकर द्वितीय स्थान प्राप्त किया है।पार्टी तो बनती है ना। हाँ बेटा.... लेकिन फिर कभी...। बेटे पर कोई बोझ न पड़े , इसलिए उन्होंने टालने का प्रयास किया।नरेश ने उनके मन में चल रही दुविधा को भाँप लिया था।पिता के कंपकंपाते हाथों को पकड़कर नरेश मुस्कुराते हुए बोला ," फिर कभी क्यों पापा...,आप ही तो मुझे समझाते थें कि काम समय पर हो तभी उसका महत्त्व है।अपने मित्रों को आप कल ही पार्टी देंगे।" बेटे की बात सुनकर रामदयाल बाबू की आँखें खुशी-से छलछला उठी।
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